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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

समेकित संस्कृति

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                    समेकित संस्कृति               भारत की समेकित संस्कृति का विवादित हिस्सा हिन्दू -मुस्लिम प्रश्न का रहा है। एक अनुदारवादी खेमा भारतीय संस्कृति को इंद्रधनुषी नहीं बल्कि एक रंग का बनाना चाहता है। हॉल की घटनाओं ने प्रेरित किया मुझे कि क्यों न हम हमारी समेकित संस्कृति को अच्छे से समझने की कोशिश करें।              भारतवर्ष की विशिष्ट भौगोलिक अवस्थिति ने भी हमारी सामासिक सांस्कृतिक चेतना को गढ़ा है। जो विविधता भारत के भूगोल ,ऋतुओं और उच्चावच में है। वही उसकी संस्कृति में भी प्रतिबिंबित होती है। जैसे -भारतीय वन्य प्रदेश  भारत के आदिवासी संस्कृति के शरण स्थल बने तो भारत की उत्तर पश्चिम सीमा पर स्थित खैबर ,बोलन आदि दर्रों से होकर आक्रमणकारी जातियां यहाँ आती रहीं पर वे अंततः भारत की होकर ही रह गईं। शक -हूण -कुषाण -पल्लव -यवन क्या इन्हें भारतीय धारा में से पहचाना जा सकता है ?इस्लाम के आगमन ने हमारी संस्कृति को गंगा -जमुनी तहजीब दी। दुनिया भर के पीड़ित- प्रताड़ित पारसियों को भारत में आकर ही शरण मिली।             भारत विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं का महासंगम है जिसमें सना

एक खूबसूरत अनुभव

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  एक नया और खूबसूरत अनुभव।               ये ३ महीने पहले की बात है  मैं अक्टूबर में उत्तराखंड घूमने गई थी। बहुत ही सुन्दर जगह है। सफर की शुरुवात दिल्ली से हुई और हमारा पहला पड़ाव ऋषिकेश था। ऋषिकेश बहुत ही शांत और खूबसूरत जगह है। गंगा नदी यहाँ अपने उमंग में होती है। शिवालिक पहाड़ी से होते हुए  जब वो ऋषिकेश से गुजरती है तो उसकी गति बहुत तीव्र होती है। गंगा किनारे खड़े होकर मैं बस यही सोच रही थी कि कितनी खूबसूरत जगह है तभी  हमने वहां रिवर राफ्टिंग वाली बोट को गुजरते देखा। तभी हमने  भी सोचा की रिवर राफ्टिंग करते हैं। मैं बहुत उत्साहित थी की चलो एक नया अनुभव होने वाला है। मानसून तभी समाप्त हुआ ही था। गंगा नदी की उफान अपने चरम पर था और पानी बहुत ही ज्यादा ठंडा था।                   हमारे इंस्ट्रक्टर ने हमें लाइफ जैकेट और हेलमेट दिए और हमें अच्छी तरह से समझाया कि क्या करना है। मजे की बात ये है कि हमारे बोट में ४ लोग थे और ४ में से सिर्फ मुझे तैरना आता था। तब में अपने  मन में नानाजी को थैंक्यू बोल रही थी मुझे स्विमिंग सिखाने के लिए , मैं तो उत्साहित थी पर मेरे साथ वाले डर रहे