एक खूबसूरत अनुभव

  एक नया और खूबसूरत अनुभव।


              ये ३ महीने पहले की बात है  मैं अक्टूबर में उत्तराखंड घूमने गई थी। बहुत ही सुन्दर जगह है। सफर की शुरुवात दिल्ली से हुई और हमारा पहला पड़ाव ऋषिकेश था। ऋषिकेश बहुत ही शांत और खूबसूरत जगह है। गंगा नदी यहाँ अपने उमंग में होती है। शिवालिक पहाड़ी से होते हुए  जब वो ऋषिकेश से गुजरती है तो उसकी गति बहुत तीव्र होती है। गंगा किनारे खड़े होकर मैं बस यही सोच रही थी कि कितनी खूबसूरत जगह है तभी  हमने वहां रिवर राफ्टिंग वाली बोट को गुजरते देखा। तभी हमने  भी सोचा की रिवर राफ्टिंग करते हैं। मैं बहुत उत्साहित थी की चलो एक नया अनुभव होने वाला है। मानसून तभी समाप्त हुआ ही था। गंगा नदी की उफान अपने चरम पर था और पानी बहुत ही ज्यादा ठंडा था। 

                 हमारे इंस्ट्रक्टर ने हमें लाइफ जैकेट और हेलमेट दिए और हमें अच्छी तरह से समझाया कि क्या करना है। मजे की बात ये है कि हमारे बोट में ४ लोग थे और ४ में से सिर्फ मुझे तैरना आता था। तब में अपने  मन में नानाजी को थैंक्यू बोल रही थी मुझे स्विमिंग सिखाने के लिए , मैं तो उत्साहित थी पर मेरे साथ वाले डर रहे थे क्यों कि उनको तैरना नहीं आता था और पानी का तेज बहाव था। और इंस्ट्रक्टर ने हमें बताया कि एक हफ्ते पहले ही एक लड़की की रिवर राफ्टिंग के दौरान मृत्यु हो चुकी है। अब ये सुनकर सबकी हालत ख़राब हो चुकी थी। अब दिमाग में यही चल रहा था की अगर बोट से गिर गए तो क्या करेंगे।  इंस्ट्रक्टर ने कहा  था - पानी में गिर जाने पर अपना सर ऊपर रखना ताकि सांस ले सकें और लाइफ जैकेट डूबने नहीं देगी।

               हमारा राफ्टिंग शुरू हुआ सबको पैडल करना था। मेहनत का काम था ये। जैसे -जैसे तेज बहाव में हमारी बोट जाती  और पानी के छीटें हमें भीगाकर जाती थी तब बहुत मजा आता था। ५ किलोमीटर  बाद इंस्ट्रक्टर ने कहा बोट से कूदो और पानी में जाते ही बोट से लगी रस्सी को पकड़ के रखना। मैं  सबसे पहले कूद गई। जैसे ही पानी के अंदर गई लगा अब जम जाउंगी। पानी बहुत ज्यादा ठंडा था। एक -एक करके सबने पानी में छलांग लगाई। उस वक़्त जब मैं पानी से आसमान की ओर देख रही थी। इतना सुकून था उस पल में ,ऐसे लग रहा था जैसे वक़्त यही थम जाये। चारो ओरे शिवालिक पहाड़ी की हरियाली और साफ आसमान साथ में नदी की कल -कल   बहुत ही सुकून भरा था। हमारी आधी बॉडी पानी के अंदर थी और ठण्ड की वजह से सुन्न हो गई थी। पर फिर भी वो १० मिनट का  एहसास इतना खूबसूरत था की मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती। 

                   हमारा राफ्टिंग १६ किलोमीटर का था और १० किलोमीटर के बाद एक जगह पर उन्होंने हमे ३० मिनट का ब्रेक दिया। पैडल करते करते हम भी थक गए थे। मजे की बात ये है की नदी के किनारे पत्थरों पर वहां  चाय और मैग्गी मिल रही थी। इससे अच्छा और क्या हो सकता है।  चाय , मैग्गी और वहां के नज़ारे  बहुत ही सुकून भरा था ,हमने  वॉटरफॉल पे नहाया भी जो शिवालिक पहाड़ी से नदी में आ के  मिल रही थी  ,वहां एक बड़ी सी चट्टान थी उसके ऊपर से लोग नदी में कूद रहे थे। हम सब लोगों ने छलांग लगाई वहां से,वो अच्छा अनुभव था।  ब्रेक  के बाद हमारा सफर फिर शुरू हुआ और राम झूले तक राफ्टिंग चली। ३ किलोमीटर पहले बारिश शुरू हो गई वहां और मौसम बहुत खूबसूरत  हो गया। हालांकि पहले से ही भीगे हुए थे और बारिश में भीगने की वजह से ठण्ड बढ़ गई।    

                 वो २ घंटे का रिवर राफ्टिंग का सफर ,ऋषिकेश के खूबसूरत नज़ारे ,बादलों को छूने वाले पहाड़ियां और गंगा नदी की चंचलता के स्वर  एक ऐसा खूबसूरत  एहसास दे जाता है जो बयां नहीं की जा सकती।अभी  मेरे बकेट लिस्ट में स्कूबा डाइविंग है उसका भी इंतजार है अब अंत में यही कहना चाहूंगी  जब भी ऋषिकेश जाएँ रिवर राफ्टिंग जरूर करें।  

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