संदेश

मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

टेक कोलोनाइजेशन

चित्र
      टेक कोलोनाइजेशन (तकनीकि साम्राज्यवाद/उपनिवेशवाद  )/डिजिटल कोलोनाइजेशन /मॉडर्न कोलोनाइजेशन                                   पिछले २ हफ़्तों से कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ -साथ  भारत -चीन सीमा विवाद सुर्ख़ियों में है। चीन के सपोर्ट के साथ नेपाल भी भारत को दुखी कर रहा है। और अब तो अम्फान चक्रवात ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।  अभी हाल ही में टिकटोक बनाम यूट्यूब विवाद भी चर्चा में रहा।  ये तो समाचारों की बात हुई। आज मेरा विषय तकनीकि साम्राज्यवाद है।  तो इस बारे में ही बात करेंगे और आपको बहुत कुछ रोचक तथ्य जानने को मिलेगा। इसलिए ब्लॉग को आखिर तक पढ़िए। वादा करती हूँ आपको निराश नहीं करुँगी।                                                                             "DATA is the new OIL ."               आंकड़ों के इस दौर में जहां हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था (नॉलेज इकॉनमी )में जी रहे हैं । ऐसे में भारत जैसे संवेदनशील देश जहाँ डिजिटल डिवाइड बहुत बड़ी समस्या  है। भारत में साइबर सुरक्षा के साथ -साथ डिजिटल साक्षरता का आभाव है। ऐसे में भारत कैसे इसके जाल में उलझ के रह गया है,

कोरोना काल में गाँधी की प्रासंगिकता

चित्र
            स्वदेशी ,स्वच्छता और सर्वोदय                  कल ही हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में बहुत बार ,लोकल (स्वदेशी )और आत्मनिर्भरता जैसे शब्दों का प्रयोग किया। दरअसल ये वर्त्तमान की आवश्यकता बन चुकी है। आज जब अंधाधुन गति से दौड़ रहे विश्व के सभी देशों की गति पर कोरोना ने ब्रेक लगा दिया है। वैश्विक मंदी भयावह नजर आ रही है।तब अचानक फिर से गांधी प्रासंगिक नजर आते हैं। वैसे तो महात्मा गांधी हमेशा ही प्रासंगिक रहे हैं और हमेशा ही रहेंगे। वर्तमान परिस्थिति में गांधीवादी दृष्टिकोण पर आधारित स्वदेशी ,स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा  व्यवस्था को प्रभावी बनाने में मददगार साबित होंगे।              "एक देश में बाँध संकुचित करो न इसको,                    गांधी का कर्तव्य क्षेत्र, दिक् नहीं काल है।                 गांधी है कल्पना जगत के अगले युग की ,                       गांधी मानवता का अगला उद्विकास है। "                                                        -रामधारी सिंह दिनकर                    एक समय था जब स्वदेशी की अवधारणा ने भारतियों के मन में

जिम्मेदार कौन ?

चित्र
          जिम्मेदार कौन ?                                   " डर   ने  सड़कों को वीरान कर दिया ,                 वक़्त ने जिंदगी को हैरान कर दिया ,            काम के बोझ से दबे हर इंसान को ,                   आराम के एहसास ने परेशान कर दिया                क्या मुक्कमल हो गई थी जिंदगी हमारी ,       ये इस नए माहौल ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया ,                मिली है अगर कुछ फुरसत जिंदगी में ,           क्यों न इसमें भी कुछ नया आज़मां कर देख लें। "                                                                   - अज्ञात                      लॉक डाउन ३. ०  चालू है। शराब की दुकाने भी खुल गयी हैं।  कैसा नजारा था हम सबने देखा ,सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाई गई।  और जगह -जगह महिलाओं के विरोध भी दिखाई दे रहे हैं । और इसका कारण है फ़्रस्टेटेड आदमी घर से बाहर नहीं जा पा रहे तो इसका परिणाम घरेलु हिंसा के बढ़ते केस के रूप में सामने आ रहे हैं। और शराब की दुकाने खुलने के बाद और परिस्थितियां विपरीत हो जाएँगी महिलाओं के लिए  और ये गंभीर चिंता का विषय है। महिला आय