मैं और मेरा चाँद 😍🥰🥰
![चित्र](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEyu3a9X7ehLMGezd7Jjgf57U9ges1YgW5bK_mLZMNYySZKW0NDtrupETICfH5VrhKBVlShlDhSQTFF4Gzjg-8TCpF7c5KWosrG1Qqz1hjEP-MdnAHm0pJ-I2ie5TE0tzfy7PF6tAIGWY/s1600/1670340188646862-0.png)
...एक बार चाँद ने कहा समंदर से.... तू उबलता है मेरे प्यार में... पर कभी मिलता नहीं यही असफलता है तेरे प्यार में .....समंदर ने भी कहा...यार चाँद मिलने को तो मेरा मन भी मचलता है प्यार में......पर क्या करूं...तू महीने के तीस दिन बदलता है प्यार में .... ☺..... ऊपर लिखी कविता गीतकार स्वानंद किरकिरे ने लिखी है|....चाँद कितना खूबसूरत होता है। पर मैं आज चाँद की खूबसूरती के बारे में बात नहीं करुँगी। बहुत सारे ,कवि ,लेखकों ने चाँद के बारे में बहुत कुछ लिखा है। आज मैं आपको अपने चांद के बारे में बताना चाहती हूँ। चाँद से रिश्ता तो बचपन से ही है मेरा ,मम्मी खाना खिलाने के लिए चंदा मामा का हिस्सा खिलाती थी। बड़े होने पर कहानियो में साहित्य में चाँद को अलंकारों में पढ़ा। नायिका की खूबसूरती हमेशा चाँद से की जाती है। पर मेरा चाँद अलग है। शायरों की महफिल सजी हो और चाँद का जिक्र ना हो ऐसा हो ही