महिला दिवस

                             विमेंस डे 


 #breakthestereotype  #SheEqualsHe

     

                    आजकल एक डिबेट चल पड़ा है। कुछ लड़कियां अगर बोलने की हिम्मत करती हैं तो उनपर नारीवादी  होने का   टैग लगा दिया जाता है। हाल ही में हमारे कुछ दोस्तों के बीच नारीवाद को लेकर बहस चल पड़ी और उनमें से एक ने कहा -यार हम मर्द कुछ भी कर लें हमेशा विलन ही रहेंगे। इतना भी क्या बुरा कर दिया यार हमने औरतों के साथ।  आज भी कितने मर्द कार में बैठने से पहले औरतों के लिए दरवाजा खोलते हैं ,सिनेमा हॉल में लेडीज फर्स्ट कहते हैं। बसों में औरतों के लिए रिज़र्व सीट होती है। और मेट्रो में तो पूरा डब्बा औरतों के लिए आरक्षित होता है। इतना सब तो कर दिया और क्या करें ?

                    अच्छा इतना सब  कर दिया। जनाब पहले औरतों से तो पूछो वो बताएगी - "इतना सब मत करो ,खोलना है तो कार के दरवाजे नहीं बल्कि अपने दिमाग की खिड़कियां खोलो। लेडीज फर्स्ट नहीं बल्कि हम बराबर हैं बोलो। वीमेन एम्पावरमेंट के पोस्ट डोंट शेयर लेकिन ऑफिस में किसी वीमेन के आइडियाज सुनने के लिए बी फेयर। मेट्रो में डब्बा ,बस में सीट मत दो। बस इतना करो कि अगर वो तुम्हारे बगल में खड़ी हो तो उसे डर  ना  लगे। " 

                         "   जग जननी हूँ ,जग पालक हूँ। 
                                       मैं नारी हूँ ,न किसी से हारी हूँ। 
                             निःशेष लोक जन्मा मेरे उर से ,
                                        फिर भी मैं ही कोख में मरी हूँ। "


                  उसकी जीत को अपनी हार मत समझो ,उसके जीवन पर अपना अधिकार मत समझो। वो बराबरी चाहती है भीख नहीं। इसलिए जो तुम इतना सब कर रहे हो ठीक नहीं। अगर कर सकते हो तो इतना करो की वो खुद को न तुमसे ज्यादा न तुमसे कम समझे। जितने आधे तुम हो उसको अपना हिस्सा भी उतना ही आधा लगे। 

                       " तन के भूगोल से परे ,
                             एक स्त्री के मन की गांठे खोलकर 
                        कभी पढ़ा है तुमने ,
                            उसके भीतर का खौलता इतिहास। "

           महिला दिवस पर आप सबको ढेर सारी शुभकामनायें। अपने जीवन में महत्त्व रखने वाली सभी महिलाओं को सम्मान और प्यार दें। उन्हें देवी का दर्जा देने के बजाय एक सामान्य मानव समझ कर एक व्यक्ति होने  का अधिकार दें। इतना ही काफी होगा। ..... 

टिप्पणियाँ

  1. भेद भाव रहित बराबरी का दर्जा ही सही सम्मान है ...
    अति सुन्दर विचार ...

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