कैसी ये मानसिकता .... नस्लभेदी ,रंगभेदी ,लिंगभेदी......?
हम सब में कुछ न कुछ कमी है और यही खूबसूरती है। क्यूंकि उस कमी को पूरा करने के लिए हम कोशिश करते हैं या उस कमी को स्वीकार कर सहज जीवन में आगे बढ़ जाते हैं।आज ये विषय पर लिखने का एक कारण है। अभी हाल ही में मैंने ऐसी दो घटनाओं के बारे में पढ़ा और उन घटनाओं ने मुझे मजबूर किया कि इस विषय पर लिखूं।
हाल ही में बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा का एक पुराना वीडियो वॉयरल हुआ। इस वीडियो में वो सार्वजनिक मंच से एक चुटकुला सुनाते नजर आ रहे हैं। अंग्रेजी में सुनाये गए इस चुटकुले का मायावती की राजनीति से ताल्लुक नहीं है ,बल्कि उनकी शक्ल -सूरत का मजाक उड़ाया गया है ,यानी बदसूरत महिला कहने की जगह उनका नाम का इस्तेमाल किया गया है। कितनी शर्मनाक बात है ये ...
ये चुटकुले उन्हीं मायावती को निशाना बनाते हैं जो भारत में पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनी ,जो ४ बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री पद पर रह चुकी हैं ,जो राष्ट्रीय स्तर की बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष हैं और जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हां राव ने "लोकतंत्र का चमत्कार " कहा था।
यह कोई पहला और अकेला मौका नहीं है जब मायावती पर कोई आपत्तिजनक ,महिला विरोधी या जातिवादी टिप्पणी की गई हो या इसी तरह का कोई भद्दा चुटकुला सुनाया गया हो। उनको निशाना बनाने में नेता ,अभिनेता से लेकर कॉमेडियन और आम लोग सब शामिल है। और ज्यादातर चुटकुले रंग -रूप और कद काठी पर छींटा- कशी की गई है।
ये घटना बताने का एक ही मकसद है कि हम कैसी मानसिकता वाले समाज में रह रहें हैं। हमारा समाज इस कदर सेक्सिस्ट और कास्टिस्ट है कि महिलाओं और दलितों पर ऐसी टिप्पणी करना कोई बड़ी बात नहीं माना जाता ,इसलिए लोगों को भी नहीं लगता कि वो कुछ गलत कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह तो सामान्य बात है और सभी ऐसा करते हैं।
दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के प्रति लोगों के नजरिये को समझने की कोशिश में राजस्थान हाई कोर्ट की टिप्पणी को समझते हैं -साल १९९५ में हाई कोर्ट ने पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली भंवरी देवी के बलात्कार के अभियुक्तों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अगड़ी जाति का कोई पुरुष पिछड़ी जाति की महिला का बलात्कार नहीं कर सकता क्यूंकि वो उसे अशुद्ध मानते हैं। ये कैसी खोखली दलील है अगर ये सच होता तो दलित महिलाओं का बलात्कार ही नहीं होता।
साल १९९५ की ही बात है जब उत्तरप्रदेश में गेस्टहाउस कांड के बाद मायावती ने कहा कि उस दिन उन्हें बलात्कार का डर लगा तो मुलायम सिंह यादव ने एक रैली में कहा -"क्या मायावती इतनी सुन्दर हैं कि कोई उनका बलात्कार करना चाहेगा ?"
यानी बात सिर्फ महिलाओं की हर सफलता या नाकामी को उनके चेहरे और शरीर से जोड़ने तक ही सीमित नहीं है बलात्कार जैसे यौन अपराधों को भी उनके रूप से ही जोड़ा जाता रहा है।
#मी टू मुहीम की शुरुवात करने वाली टैरेना बर्क की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गई और कहा गया "समझ नहीं आता कि उन्हें #मीटू जैसी मुहीम की जरुरत क्यों पड़ गई। उनके जैसी काली ,मोटी और भद्दी महिला का भला कौन यौन उत्पीड़न करेगा ?"टैरेना बर्क एक ब्लैक अमेरिकी महिला हैं ,जाहिर है उनके समाज में वो भी कहीं न कहीं हाशिये पर है।
जब लोगों को किसी महिला को नीचा दिखाने का कोई और रास्ता नहीं सूझता तो वो उसके चेहरे और शरीर को निशाना बनाते हैं। यही वजह है कि असुरक्षा की भावना से घिरे लोग ,खासतौर पर पुरुष मायावती जैसी सशक्त महिलाओं पर भद्दी टिप्पणी कर उन्हें अपमानित करने की कोशिश करते हैं। और ऐसी भद्दी टिप्पणी ,बॉडी शेमिंग ,स्लट शेमिंग अश्लील कमेंट लगभग हर लड़की को कभी न कभी झेलना पड़ ही जाता है। हम इंडिया वाले खासकर जज बनने के बड़े शौक़ीन होते हैं। हमारा समाज ही ऐसा है कि सब को दिक्कत है -किसी के मोटे होने से ,किसी के पतले होने से ,किसी के काले, गोर, नाटे ,छोटे होने से और भी कई तरह से लोगों को परेशानी है लड़कियों के छोटे कपड़ों से लेकर उनका चाल- चलन सबकुछ यही कमेंट करने वाले ही डिसाइड करेंगे बताओ भला। मुझे तो अभी तक मेरे कुछ दोस्त मोटी ,भैंस ये सब बोलते हैं। अब क्या करें मोटी हूँ मैं ......
ये तो हुई पहली घटना जिसे मैंने ज्यादा खींच लिया जो स्वाभाविक ही था और अब बात करते हैं अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को चाइनीस कहने वाले यूटूबर के मानसिकता की..... और ये केवल उसकी नहीं है बहुत सारे भारतियों की समस्या है जो उत्तरपूर्व के लोगों को अपने देश का नहीं समझते क्यूंकि उनकी चेहरे की बनावट और कदकाठी हमसे अलग है।
पता नहीं जातिवाद ,नस्लवाद ,रंगभेद लिंगभेद इन सबसे कभी हम छुटकारा पा सकेंगे ? ऐसा सोचना भी अभी लिए कोरी कल्पना होगी। ऐसी मानसिकता बचने के लिए संवेदनशील होना आवश्यक है इनके लिए क़ानूनी दंड तो हैं पर जबतक लोगों की मानसिकता में परिवर्तन नहीं होगा तब तक ऐसी घटनाएं सामान्य ही लगेगी। आप इन मुद्दों पर क्या सोचते हैं -अपनी राय कमेंट में लिखें और बताएं कि आप किन और मुद्दों पर ब्लॉग देखना चाहेंगे। आपके सुझाव के इंतज़ार में। .....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंThankyou
हटाएंएकमत हैं।
जवाब देंहटाएंThankyou
हटाएंबहुत सुंदर और साहसी..👌👌
जवाब देंहटाएंआपके विचारों से सहमत हूँ,श्री । न जाने समाज के परिवर्तन में अभी कितना समय लगेगा?
जवाब देंहटाएंThankyou abha
हटाएंअदभुत विश्लेषण!
जवाब देंहटाएंThankyou
हटाएंलिखो न लेखनी करो बंद....बहुत स्पष्टवादिता दिखती है लेख में । आगे भी ऐसे ही लिखती रहना शिवा😊
जवाब देंहटाएंThankyou
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