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हाय री बारिश.....!

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 हाय री बारिश। .....                       " शहर घुसेंगे नदियों में तो                                 नदियां घुस जायेंगी  शहर में                         तुम रोकोगे पानी की डगर                                   पानी रुक जाएगा डगर में।"                                                          -स्वानंद किरकिरे                 बारिश का बवाल जो बारिश के हर सीजन में मचता है।  मुंबई ,दिल्ली ,बेंगलुरु ,चेन्नई  हर शहर में नर्क का ट्रेलर नजर आ रहा है।                                                                                                          हम सोचते हैं कि बारिश दिल के तार छेड़ेगी लेकिन ये बारिश पूरे सिस्टम को ही तार -तार कर देती है। आधे घंटे की बारिश में पूरे शहर  में जाम  लग जाता है। कच्ची बस्तियां नालियों की पानी में डूबकर इटली के वेनिस की गरीब  कुरूप बहन नजर आती हैं। दो दिन बारिश न आये तो ऊपर वाले से बारिश की दुआ मांगते हैं और फिर २ घंटे बारिश हो जाये तो अपने शहर का हाल देख कर अपनी ही बारिश की दुआ के लिए ऊपरवाले से माफी मांगते है कि गजब बेज्जती है भगवान 

मैं और मेरा चाँद 😍🥰🥰

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  ...एक बार चाँद ने कहा समंदर से....                                                                                तू उबलता है मेरे प्यार में...    पर कभी मिलता नहीं यही असफलता है तेरे प्यार में  .....समंदर ने भी कहा...यार चाँद मिलने को तो मेरा मन भी मचलता है प्यार में......पर क्या करूं...तू महीने के तीस दिन बदलता है प्यार में .... ☺.....                                                                                                     ऊपर लिखी कविता गीतकार स्वानंद किरकिरे ने लिखी है|....चाँद कितना खूबसूरत होता है। पर मैं  आज चाँद की खूबसूरती के बारे में बात नहीं करुँगी। बहुत सारे ,कवि ,लेखकों ने चाँद के बारे में बहुत  कुछ लिखा है। आज मैं आपको अपने चांद के बारे में बताना चाहती हूँ। चाँद से रिश्ता तो बचपन से ही है मेरा ,मम्मी खाना खिलाने के लिए चंदा मामा का हिस्सा खिलाती थी। बड़े होने पर कहानियो में साहित्य में चाँद को अलंकारों में पढ़ा। नायिका की खूबसूरती हमेशा चाँद से की जाती है। पर मेरा चाँद अलग है।       शायरों की महफिल सजी हो और चाँद का जिक्र ना हो ऐसा हो ही

Gaslighting -pychological manipulation

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            "गैसलाइटिंग" वर्ड ऑफ द ईयर           गैसलाइटिंग का क्या मतलब है?    इस वर्ष इस शब्द की सर्चिंग में 1740% का इजाफा हुआ है 😲इसलिए ही ये वर्ड ऑफ द ईयर घोषित हुआ है|                                                                      आसान शब्दों में कहा जाए तो "अपने फायदे के लिए दूसरे को भरमाना है|" दिमाग कि दही करना"..🤣 या फिर 'ब्रेन किडनैपिंग' यानी किसी के साथ मनोवैज्ञानिक तौर पर इस तरह खेल खेला जाए और उसे धोखे मे रखते हुए इस तरह से भ्रमित कर दिया जाए कि पीड़ित शख्स कोअपने विचारों और खुद की काबिलियत पर संदेह होने लगे |कई लोगों को इस बात का पता भी नहीं चलता कि वो इसका शिकार हो रहे हैं|  और ऐसा करने वाले, आपके परिवार के सदस्य, दोस्त, आपका पार्टनर ,आपका डॉक्टर, आपका पड़ोसी , आपका बॉस कोई भी हो सकता है|                                                                               अमेरिका के सबसे पुराने डिक्शनरी पब्लिशर मेरियम- वेबस्टर ने इस वर्ड को चुना है और परिभाषित भी किया है|-                                         

mensturation and sanitary napkins ...lets talk about period...and safe healthcare for women in our country

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"women are born with pain build in". ....                ये लाइन मैंने एक  पॉडकास्ट  में सुना था तब से ये मेरे मन  में घर कर गयी  है।पुबर्टी ,पीरियड   का दर्द ,चाइल्ड बर्थ का दर्द ,एबॉर्शन का दर्द ,pcos और मेनोपोज़। बचपन  से  लेकर बुढ़ापे तक साला  ये   दर्द कभी ख़तम ही नहीं होता। उपाय है ,मेडिसिन है और तो  और भारतीय महिलाओं की हेल्थ और सेफ्टी के  लिए कई कानून भी हैं। थ्योरी में सबकुछ एकदम फर्स्टक्लास है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।               अनमैरिड हो और gynac के पास जाओ  तो सबसे पहले वो जज करते हैं। शादी के बाद सब ठीक हो जायेगा जैसे दकियानूसी और  सेंसलेस बात करते हैं। अनवांटेड प्रेग्नन्सी की बात आये तो सब बैठ के गॉसिप करते हैं। अगर  सेक्सुअली एक्टिव हो का आंसर हां हुआ तो जज करने में  कोई कमी नहीं रखते।    DO I NOT DESERVE DIGNITY WHEN I AM  SEEKING HEALTHCARE?         2022 ख़तम  हो रहा है और हम  अभी भी 1922 कि मानसिकता को  झेल  रहे हैं। क्या आपके मोरल वैल्यू  मेरे फिजिकल ,मेन्टल और  सेक्सुअल हेल्थ से ज्यादा महत्वपूर्ण है ?क्या आपकी ओपिनियन मेरी जिंदगी से ज्या

रूबरू..... रौशनी..

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                   "पहली और  सबसे अच्छी जीत स्वयं को जीतना है। " - प्लेटो                आज बड़े दिनों बाद कुछ लिख रही। .. अजीब सा निराशा का  माहौल है। हर दिन सुबह उठकर बस यही सोचती हूँ कि आज कोई बुरी खबर न मिले पर कोरोना ऐसा होने नहीं दे रहा। इतनी सारी मौतें त्रासदी है। पिछले वर्ष का लॉक डाउन भी अकेले बीता  दिया था मैंने और इस बार भी यही सोचा कि ये लॉक डाउन भी कट ही जाएगी। पर इस बार ये लॉक डाउन डरावनी और निराशा भरी रही। इस लॉक डाउन ने ये एहसास करवाया  कि बेचैनी कैसी होती है। मई में मेरे भाई को कोरोना हुआ था जो कि अब पूरी तरह ठीक हो चुका है। और घर में माँ -पापा थे उसको ध्यान रखने के  लिए और मैं यहाँ अकेले हेल्पलेस थी। डर लग रहा था कि माँ -पापा को न हो जाये।और भगवान् का शुक्र है कि माँ -पापा भी ठीक हैं।  वो १५ दिन मेरी जिंदगी के डरावने दिन थे हर वक़्त इतनी बैचेनी ,इतना डर था कि मेरा कहीं मन नहीं लग रहा था। हर वक़्त निगाहें फ़ोन  पे होती थी और नेगेटिव ख्याल आ रहे थे। उसी वक़्त मेरी सहेली के पिताजी का देहांत हो गया था कोरोना से ही और सोशल मीडिया और समाचारों ने डराने की  कोई कसर छोड़ी

कैसी ये मानसिकता .... नस्लभेदी ,रंगभेदी ,लिंगभेदी......?

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        हम सब में कुछ न कुछ कमी है और यही खूबसूरती है। क्यूंकि उस कमी को पूरा करने के लिए हम कोशिश करते हैं या उस कमी को  स्वीकार कर सहज जीवन में आगे बढ़ जाते हैं।आज ये विषय पर लिखने का एक कारण है। अभी हाल ही में मैंने ऐसी दो घटनाओं के बारे में पढ़ा और उन घटनाओं ने मुझे मजबूर किया कि इस विषय पर  लिखूं।            हाल ही में बॉलीवुड एक्टर रणदीप हुड्डा का एक पुराना वीडियो वॉयरल हुआ। इस वीडियो में वो सार्वजनिक मंच से एक चुटकुला सुनाते नजर आ रहे हैं। अंग्रेजी में सुनाये गए इस चुटकुले का मायावती की  राजनीति से ताल्लुक नहीं है ,बल्कि उनकी शक्ल -सूरत का मजाक उड़ाया गया है ,यानी बदसूरत महिला कहने की जगह उनका नाम का इस्तेमाल किया गया है। कितनी शर्मनाक बात है ये ...            ये चुटकुले उन्हीं मायावती को निशाना बनाते हैं जो भारत में पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनी ,जो ४ बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री पद पर रह चुकी हैं ,जो राष्ट्रीय स्तर की बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष हैं और जिन्हें पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हां राव  ने "लोकतंत्र का चमत्कार " कहा था।          यह  कोई पहला और अकेला मौ

भयानक गहराई के बिना कोई सतह सुन्दर नहीं लगती। ....

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          "सब्र के समुद्र की गहराई से बहुत रास्ते मिल जायेंगे।               जहां सुकून की गहराई है वहां आनंद सी शीतलता है। " अक्सर गांव में बड़े बूढ़ों से सुना होगा -     " तालाब  सदा कुएं से सैकड़ों गुना चौड़ा और बड़ा  होता है ,फिर भी लोग कुएं का ही पानी पीते हैं, क्यूंकि कुएं में गहराई और शुद्धता  होती है। वैसे ही मनुष्य का बड़ा होना अच्छी बात है , लेकिन उसके व्यक्तित्व में गहराई और विचारों में शुद्धता भी होने चाहिए तभी वह महान बनता है।"        गहरा ,गूढ़ ,गंभीर  ये शब्द सुनकर सोचने पर मैंने पाया  - मीरा बाई के कृष्ण प्रेम की गहराई , कबीर की गुरुभक्ति की गहराई जिसमे कबीर ने गुरु को भगवान् से बड़ा माना  ,महात्मा गाँधी  के सत्य और अहिंसा पर अटूट विश्वास की गहराई जिससे भारत को आज़दी मिली। .... तो वहीं भगत सिंह  क्रांतिकारी विचारों की गहराई , मदर टेरेसा के करुणा की गहराई या फिर यों कहे  जगजीत सिंह के गजलों की गहराई   , प्रेमचंद के उपन्यासों की गहराई ,र वीन्द्रनाथ टैगोर के गीतों की गहराई , रहमान के संगीत की गहराई , कल्पना चावला के सपनो की गहराई  आदि , और भी अनेक उदाहरण