एथिकल वीगनिज्म

                             एथिकल वीगनिज्म  


              हाल ही में मैंने एक नये  दार्शनिक आस्था के बारे में पढ़ा और मुझे ये अच्छा लगा तो सोचा की क्यों ना आप लोगों के साथ साझा किया जाये। 
        
          एथिकल वीगनिज्म  का वर्णन करने के लिए कह सकते हैं -" एक ऐसी जीवनशैली और पसंद को अपनाना जिनका उद्देश्य पशुओं को पीड़ा पहुँचाने से बचाना हो। "


            वीगन वह व्यक्ति है जो पशु उत्पादों को नहीं खाता है या उनका उपयोग नहीं करता है। कुछ लोग वीगन भोजन अर्थात शाक आधारित आहार का सेवन (सभी पशु उत्पादों जैसे दुग्ध उत्पादों ,अंडे ,शहद ,मांस और मछली से मुक्त )को प्रयुक्त करना चुनते हैं। लेकिन एथिकल वीगन अपनी जीवनशैली को सभी प्रकार के पशु शोषण से बाहर रखने का प्रयास करते हैं। उदाहरण स्वरुप -वे ऊन या चमड़े से बने कपड़ों को पहनने या खरीदने से या उन कंपनियों की प्रसाधन सामग्रियां खरीदने से बचते हैं जो पशुओं पर उनका परीक्षण करती हैं। 

             एक एथिकल वीगन वह है जिसकी जीवन शैली और पसंद ,व्यावहारिक रूप से किसी  भी कीमत पर जानवरों पर क्रूरता और उनकी पीड़ा का कारण बनने से बचने की उनकी इच्छा के अनुरूप आकार ग्रहण करती है। एथिकल वीगनिज्म की सीमाएं केवल उनके भोजन विकल्पों तक सीमित नहीं होती। 

             मेरे मांसाहारी दोस्त मुझे कोंस रहे होंगे लेकिन क्या कर सकते हैं। भारत के परिपेक्ष्य में कुछ उदाहरणों को समझते हैं -दक्षिण भारत में होने वाला जल्लिकट्टु हो या कम्बाला त्यौहार वहां आस्था के नाम पर बैल और भैंस के साथ क्रूरता होती है ,उत्तर भारत और पूर्वी भारत में दशहरे के समय बकरा कटता है। हम दिवाली के दिन पटाखे जलाने के चक्कर में कुत्ते ,बिल्लिओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

             हलांकि पशु उत्पादों से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। एक बड़ी आबादी मांस उद्योग ,मत्स्य उद्योग  आदि पर निर्भर है। और पूरी तरह से शाकाहारी बन जाना व्यावहारिक भी नहीं लगता। लेकिन हॉल में हुए सर्वे के अनुसार जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवजनित कारणों से जीव जंतुओं की बहुत सारी प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं। और इसके अलावा ज़ूनोटिक डिसीज  (इबोला ,कोरोना वायरस ) आदि जानवरों से मनुष्यों में फ़ैल रहा है।

           चूँकि भारत में लगभग ४०% आबादी शाकाहारी है और शाकाहारी खाने में भी बहुत विकल्प हैं भारतीयों के पास तथा  जानवरों का हमारे त्यौहार और संस्कृति में अत्यधिक महत्व है ,जैसे -गाय  ,इसलिए गायों का संरक्षण होता है। (कुछ लोग अपवाद हैं जो बीफ खाते हैं लेकिन अधिकांश हिन्दू गाय  की पूजा करते हैं। ) ये दार्शनिक आस्था विलुप्त होते जैव विविधता  को बचाने में सहायक हो सकता है।

            आजकल बहुत सारे सेलेब्रेटी एथिकल वीगनिस्म को अपना रहे हैं क्यों कि इसके बहुत सारे फायदे  हैं। उदाहरण -विराट कोहली (२ साल पहले इन्होने एथिकल वीगनिस्म को अपनाया। ),अनुष्का शर्मा ,दिया मिर्जा  आदि।अधिक लम्बे समय तक स्वस्थ रहने के लिए ये सात्विक और सुपाच्य खाद्य  विकल्प है।  भले ही मांस मछली प्रोटीन का अच्छा स्रोत है।  

         हाल ही में यूनाइटेड किंगडम में एक एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने निर्णय दिया कि 'एथिकल वीगनिज्म 'एक दार्शनिक आस्था होने के लिए एक आवश्यक परीक्षण को पूरा करता है ,जिसके कारण इसे इक्वलिटी एक्ट ,२०१० के अंतर्गत संरक्षित किया गया है।

              एथिकल वीगनिस्म अपना कर आप भी अपनी सवेंदनशीलता का परिचय दे सकते हैं  साथ ही विलुप्त होते जीव जंतुओं को बचाने में सकारात्मक योगदान कर सकते हैं। आप अपनी राय नीचे कमेंट में लिख के बता सकते हैं। 

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