कठिन परिस्थितियां बेहतर अवसर लेकर आती हैं। .......

     कठिन परिस्थितियां बेहतर अवसर लेकर आती हैं।  ... 


            आप ऊपर लगी  ये पौधे की फोटो देख रहे होंगे जो तुलसी पौधे के बगल में है। ये पौधा मेरे दिल के बहुत करीब है। कुछ २० दिन पहले तक मेरे पास केवल एक तुलसी का पौधा ही था  ,एक दिन छत पे एक गमला मिला ,जिसमे लगा पौधा लगभग सूख चुका था उसमें शिवलिंग रखा था। मैंने सोचा कि इसको अपनी तुलसी के पौधे के पास ही ले जाती हूँ और इसके सूख चुके पौधे को हटा कर नया पौधा लगाउंगी। लॉक डाउन के कारण कोई पौधा बेचने वाला आ ही नहीं रहा तो मैंने सूखे पौधे को नहीं हटाया। और तुलसी के पौधे पर जब पानी डालती थी तब दूसरे गमले में भी पानी डालने लगी क्यूंकि उसमें शिवलिंग रखा है। एक हफ्ते बाद ही ये पूरी तरह से सूख चुका पौधा हरा होने लगा। मैं देख के इतनी आश्चर्य और खुश दोनों थी। क्यूंकि कुछ दिन पहले ही मैं उसको हटा कर दूसरा पौधा लगाना चाहती थी। मुझे कोई उम्मीद नहीं थी कि ये पौधा फिर से हरा हो जायेगा। और आज जब मैं हर सुबह इस पौधे को बढ़ते हुए देखती हूँ तो सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करती हूँ। 



                 इस घटना से मैंने निष्कर्ष निकला कि -आप जब बिना किसी उम्मीद के भी धीरे -धीरे अपना एफर्ट लगाते है और निरंतर प्रयासरत रहते हैं तो उसका परिणाम भी अच्छा होता है। इस प्रसंग का एक और  अर्थ निकलता है - आप कितनी भी कठिन  परिस्थिति में क्यों न  हो  फिर भी नयी शुरुवात कर सकते हैं। आपको ऐसे कई उदाहरण देखने मिलेंगे जिन्होंने अपनी दूसरी पारी की शुरुवात जीरो से की। बिलकुल इस पौधे की तरह जिसको भी नया जीवन मिला,दूसरा मौका मिला फिर से बढ़ने का।  

                ऐसे ही उदाहरण हैं -अमिताभ बच्चन   ,इन्होने मैडम तुसाद म्युसियम में लिखा है -"मैंने बीसियों बार अपनी जिंदगी जीरो से शुरू की है। "(९० के दशक में दिवालियेपन से लेकर बॉलीवुड करियर जब सही नहीं चल रहा था और जब वे  राजनीति में भी सफल नहीं हुए थे ) आज अमिताभ बच्चन सदी के महानायक कहलाते हैं। ऐसे बहुत सारे उदहारण मिलेंगे आपको जैसे -रतन टाटा ,एलेन मस्क आदि। सेकेंड वर्ल्ड वार में जापान में  परमाणु बम के हमले के बाद सबने उम्मीद छोड़ दी थी कि जापान का क्या होगा। लेकिन अपनी दूसरी पारी में ३ दशक में ही उसने अपनी वैश्विक पहचान स्थापित कर ली। एक ऐसा ही उदाहरण इज़राइल जैसे देश का भी है। 

                 कहने का मतलब यही है कि -सबके जीवन में ऐसे बहुत बार होता है जब लगने लगता है कि सब ख़तम हो गया ,बर्बाद हो गए और हम निराश होने लगते हैं। तब सोचना होगा कि -जो बीत गया बीत गया ,अब फिर से नयी शुरूवात करते हैं शुरू से -नए तरीके से ,नए लक्ष्य लेकर नए उत्साह के साथ। जब हम जीरो से शुरुवात करते हैं तो हमारे पास पुराने चीज़ों का बोझ नहीं होता। कहते हैं न -"जब खोने के लिए कुछ न हो तब पाने के लिए पूरा आसमान होता है। "जब आपके जीवन में परिस्थितियां कठिन हो तब आप भी सकारात्मक होकर एक नए अवसर का हाथ थाम सकते हैं। और फिर से नए तरीके से नई शुरुवात कर सकते हैं। 


                   वर्तमान स्थिति में सब परेशान हैं कि कोरोना की वजह से आर्थिक मंदी बढ़ जाएगी ,गरीबी ,बेरोजगारी की समस्या भयानक होगी। लॉक डाउन की वजह से उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं। और भी कई तरह की समस्याएं हैं। ..... अब इसका सकारात्मक - " तो क्या हुआ ?फिर से नयी शुरुवात करेंगे यार जैसे आज़ादी के बाद भी हम ऐसी ही समस्याओं से घिरे थे। धीरे -धीरे समय के साथ भारत ने अपनी वैश्विक पहचान बना ही ली। तरक्की के नए कीर्तिमान रचे। वैसे ही कोरोना संकट के बाद धीरे -धीरे अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आ ही जाएगी।और भारत अपनी पुरानी गलतियों से सीखकर नयी शुरुवात करेगा। नए तरीके से नयी गलतियां करेगा। जैसे परिस्थितियों के कारण समय और जीवन दोनों नहीं रूकते तो हम क्यों रूकें ? हम भी आगे बढ़ेंगे नए संकल्प और नए जोश के साथ।  ....... 

           " मत घबराना जिंदगी में 
                   परेशानियों की पतझड़ से 
            मेहनत की बसंत खुशियों की, 
                    बहार जरूर लाएगी 
           खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को ,
        इन कोशिशों के बल पर ही कामयाबी आएगी। "   
                                                                  -अज्ञात 

 

टिप्पणियाँ

  1. बहुत खूब... पढ़ के ऐसा लगा मानो मेरे अंदर उत्साह भर गया हो ।

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  2. सकारात्मकता का प्रत्यक्ष दर्शन 👌👌
    अति सुन्दर लेख

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