अकेलापन

                                अकेलापन 

     " अगर आप अकेले में अकेले हैं तो आप बुरी संगति में हैं। " - अस्तित्ववादी चिंतक सार्त्र 

              अकेलापन सुनने में नकारात्मक प्रतीत होता है। लेकिन आज मैं  इस विषय पर कुछ अलग नजरिया लेकर आई हूँ।आप बिलकुल परेशान मत होइए कि  निराशा के माहौल में क्यों इस टॉपिक पे बात करें। यकीन मानिये और इस ब्लॉग को अंतिम तक पढ़िए  मैं आपको निराश नहीं करूंगी।
   
              कोरोना के कारण  बहुत सारे लोग आइसोलेट हैं ,घरों में कैद हैं। उनमें से कई लोग अकेले फंस गए हैं।और उन लोगों में से एक मैं भी हूँ। मैं अभी पीजी में अकेले हूँ और मेरे साथ १०-१२ कबूतर और ४-५ चूहे जो कल ही मुझे अपने ऊपर वाले खाली फ्लोर पर नजर आये ,वो अभी मेरे पडोसी हैं। पर चिंता की कोई बात नहीं है मैं सुरक्षित हूँ। खाना समय पे मिल जाता है और वाई -फाई का साथ ऐसा है कि लगता नहीं कि  किसी की जरुरत है मुझे ... और अगर उससे भी बोर हो जाऊं तो सर्वाइवल कुकिंग आती है मुझे जो कि अच्छा टाइमपास है। खैर ये तो मेरी बात हुई  अब उन लोगों की भी बात करते हैं   जो कोरोना पॉजिटिव हैं वो भी अकेले हैं दहशत में हैं  घर परिवार से दूर कैद में हैं  ,बहुत सारे स्टूडेंट जो बाहर हैं वो भी अकेले हैं। कभी -कभी ये अकेलापन डिप्रेशन का कारण होता है। पर क्या आप जानना नहीं चाहेंगे की अकेलापन एक बहुत बेहतर अवसर है खुद को समझने का। अकेलेपन का जादू कुछ रोचक तथ्यों से करते हैं।कल हमारे विकास सर ने बहुत अच्छे उदाहरण बताये जिनको मैं आपके साथ शेयर कर रही।

      कहते हैं -  " जब आप बाहर  नहीं जा सकते
                                 तो अपने भीतर जाइये। "

                  १७ वीं शताब्दी में न्यूटन जो कि उस वक़्त कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ा करते थे,रिशर्च कर रहे थे । सयोंग से उस वक़्त ब्रिटैन में प्लेग फ़ैल गया। और उस वक़्त उसका कोई इलाज नहीं था सोशल डिस्टेंसिंग ही इलाज था। उस वक़्त लंदन की एक चौथाई आबादी प्लेग से मर चुकी थी।  इस कारण से  सयोंग ऐसा बना कि न्यूटन को १ वर्ष तक एकदम अकेले रहना पड़ा। और इसी एक वर्ष के अपने अकेलेपन में उन्होंने क्या किया उसे जानकर आश्चर्य होगा -कायदे के लोग अकेले पन  से पागल नहीं होते बल्कि अकेलेपन का  फायदा उठाते हैं। उस वर्ष उनके पास ज्यादा किताबें नहीं थी,जब किताबें नहीं थी तब उन्होंने अपने भीतर सोचा नया -नया सोचा  ,चिंतन पर बल दिया। और उस एक वर्ष में उन्होंने अर्ली कैलकुलस की खोज की। उन्होंने ने एक पेड़ के पास  एक छोटी सी जगह बनाई जहाँ से रौशनी कम आती थी और उसी रौशनी को देखते  हुए उन्होंने एक्सपेरिमेंट किये और कहा जाता है कि वहीं से  ऑप्टिक्स की शुरुआत होती है। और इसी दौरान ही उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की खोज की। सेब तो पहले भी पेड़ से गिरते थे पर जब उन्होंने सोचा कि सेब नीचे ही क्यों गिरा ?             
 
        "जब हम अकेले होते हैं तभी ऐसी चीज़ों पर नजर जाती है। जो सामान्य तौर पर नहीं जाती। "

             अकेलापन दुर्भाग्य नहीं है बल्कि सौभाग्य है दुर्भाग्य उनके लिए है जिनके पास मूलभूत सुविधाओं की कमी है जिनके पास अकाल का संकट है।एक और उदाहरण अरविंदो घोष  का है जब उनको बंगाल विभाजन के बाद स्वदेशी आंदोलन  के दौरान १९०८ में उनको १ वर्ष का एकांत कारावास मिला था। उस एकांत कारावास में उनको अपने जीवन का सार समझ आया। उनका दर्शन तब फूटा जब उनके पास  बात करने वाला कोई नहीं था।   कारावास के बाद राजनीति छोड़कर अध्यात्म को चुना और पांडिचेरी में एक आश्रम बनाया जो आज भी बहुत प्रसिद्ध है। दुनिया धाक मानती है महर्षि अरविन्द के दर्शन की।

      "जिंदगी में उसने बड़ी बात करली ,
                      जिसने खुद से मुलाकात करली। " 

             यदि हम इस वक़्त परेशान हैं ,चिड़चिड़े हैं ,अवसाद में है तो इसका मतलब है आप अपनी कंपनी एन्जॉय नहीं करते।  वैसे  भी करने को इतना कुछ है सीखने को इतना कुछ है। और कहते हैं ना -

           "बदल जाओ वक़्त के साथ या 
                        वक़्त को बदलना सीखो। 
             मजबूरियों को मत कोसो ,
                              हर हाल में चलना सीखो। "
    

               और अंत में आप जहाँ भी हैं जिस हाल में हैं इसे एक चुनौती समझकर स्वीकार करें। ये हमसब के धैर्य की परीक्षा की घडी है। और कहते हैं "वक़्त अच्छा हो या बुरा बीतता जरूर है "तो ये वक़्त भी बीत जायेगा। हमें इस कठिन समय के सकारात्मक पक्ष को देखना चाहिए कि ये समय हमें कितना कुछ सीखा के बीत रहा है।
इसी के साथ घर पे रहिये और सकारात्मक रहिये और प्रार्थना कीजिये कि ये बुरा वक़्त जल्दी बीते। ......

टिप्पणियाँ

  1. आपने बहुत अच्छा लिखा है।
    अभी इस तरह के सकारात्मक लेख कि हर किसी को जरूरत है।

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  2. That's great..a positive approach to life.. wonderful.. keep writing👌👌

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  3. वर्तमान परिस्थितियों में डूबते को तिनके का सहारा रूपी आपका यह लेख निश्चित ही अकेलेपन से जूझ रहे लोगों को सम्बल प्रदान करेगा और उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा....बहुत ही उत्कृष्ठ लेख.....बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं👌👌👌👌

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  4. बहुत ही सुन्दर लेख ...
    जो जीवन मेंं खुश रहते है , हर परिस्थिती को अपने अनुकूल बना लेते है ...
    👌👌

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