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कुछ बातें ....

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 कुछ बातें  .... बस यूँ ही। ..                            बड़े दिनों बाद कुछ लिख रही। अभी तक सोचा नहीं कि क्या लिखूंगी। .. पर मन कर रहा कि कुछ लिखूं। ... अब मौसम भी अपने रंग बदल रहा,उमस भरी गर्मी के बाद हल्की -हल्की गुलाबी ठण्ड ने दस्तक दे दी है। .. कोरोना के साथ -साथ त्योहारों का मौसम चल ही रहा है।  बिहार में चुनावी दौर चल रहा और राजनेता काम के मुद्दों के  अलावा फालतू बयानबाजी और आरोप -प्रत्यारोप किये जा रहे। चुनावी रैलियों और बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ रही है। मगर चुनाव में सब जायज है। पूरी दुनियां में वैक्सीन राष्ट्रवाद की लहर चल रही और अमेरिका के चुनाव का एक मुख्य मुद्दा भी वैक्सीन ही है। और हमारे भारत में तो चुनावी वादों में  वैक्सीन फ्री में बांटी जा चुकी है जो कि अभी तक बनी भी नहीं है।  यही न्यू नार्मल बनी जिंदगी बैचैन भी कर रही। आज ही न्यूज़ में देखा एक २१ साल की लड़की को दिन दहाड़े गोली मार दी गई और उसकी गलती केवल इतनी थी कि उसने शादी का प्रस्ताव ठुकर...

बारिश और मैं ..................

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              मुझे बारिश बहुत पसंद है हर बार जब बारिश होती है तब एक अलग सा सुकून होता है। बचपन की बहुत सारी यादें ताजा हो जाती हैं। इस बार तो दिल्ली में बस नाम की बारिश हुई है। ऊपर से अभी भी इतनी ऊमस और गरमी बनी हुई है। लग ही नहीं रहा की सावन का महीना है  पिछले २ दिन यहां बारिश हुई परन्तु यहां की बारिश में वो बात कहां जो मेरे गावं में होती थी। आज में अपनी बारिश की यादें शेयर कर रही। दरअसल इन ४ महीनो के लॉक डाउन में सब कुछ बोरिंग होने लगा है अब इसलिए आज पुराने दिनों में जाने की इच्छा हो रही फिर से। ....                   " बूंदों से बना हुआ छोटा सा समुन्दर ,                             लहरों से भीगती छोटी सी बस्ती।                     चलो ढूंढे बारिश में दोस्ती की यादें ,                         हाथ में लेकर एक कागज़ क...

राजनीति का अपराधीकरण /अपराध का राजनीतिकरण

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                       मैं लिखना कुछ और चाहती थी पर लिख इस टॉपिक पे रही हूं। मैं रोक नहीं पायी खुद को लिखने से  .... अजीब सी बात है ,अजीब हालात हैं। ...मैं पहले ही बताना चाहती हूँ मुझे अपराधियों से कोई सहानुभूति नहीं हैऔर न मैं ऐसे लोगों को सपोर्ट करती हूँ। मेरा मानना है कि किसी ने अपराध किया है तो उसको सजा जरूर मिलनी चाहिए। पर आज हम अपने खोखले हो चुके  सिस्टम की बात करेंगे।  कैसी घटना है...  एक अपराधी जिस पर ३० सालों से लगभग ६० लोगों की हत्या का आरोप हो ,५ लाख रूपए का इनाम रखा गया है।  एक बीजेपी विधायक की हत्या का भी आरोपी है और फिर भी अभी तक बचा रहा ?बिना राजनीतिक और पुलिस सहायता के एक गुंडा इतने दिनों तक कैसे बच सकता है ?सामान्य तौर पे यदि किसी आम आदमी पे एक पुलिस केस हो जाये तो उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। और एक गुंडा राजनीतिक सहायता पाकर इतना ताकतवर हो जाता है कि -एक पूरा संगठित अपराध करता है, ८ पुलिस वालो को मारने में कामयाब हो जाता है वो भी कुछ पुलिस वालों की सहायता से ही। और ये केवल ...

कुछ भी। .... आज बस यूँ ही।.....

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                   आज बड़े दिनों बाद कुछ लिख रही। ....सोचा नहीं है कि क्या लिखूंगी  .... फिर भी कोशिश कर रही सोच कर  लिखने की। ..... अजीब सा माहौल है अभी देश में। .. कोरोना ने पीछा नहीं छोड़ा बल्कि और भयावह हो चुका है ,३ महीने बाद लॉक डाउन खुलने के बाद भी समस्याएं वहीं बनी हुई हैं। .... लोग अब कोरोना के साथ जीने की कोशिश को न्यू नार्मल कहने लगे हैं।  चीन की हिमाकत बढ़ती ही जा रही है,देश में साइबर हमले आंतरिक सुरक्षा को चुनौती दे रहे तो सामाजिक -आर्थिक समस्याएं मुँह बाएं खड़ी हैं। गरीबी ,बेरोजगारी और असमानता की खाई गहरी होती जा रही। हिंसक घटनाओं के साथ आत्महत्या जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है।वर्तमान में मानसिक अवसाद गंभीर चिंता का विषय है।                       जून के महीने में कितना कुछ घट गया.... कितने सारे नए विवाद ,समस्याएं  हुई। नेपोटिस्म (भाई -भतीजावाद ) ग्रूपिस्म (किसी को अलग -थलग करना ) , ब्लेम गेम, टाइप के कितने शब्दावलियाँ चर्चा का विषय थी।...

जाने कब ?

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               इस कोरोना काल की अनिश्चितता गहराती ही जा रही है।  कितना कुछ हो गया बीते दिनों ,चाहे वो उत्तर- पश्चिम भारत में टिड्डी दलों का अटैक हो या फिर अम्फान चक्रवात का कहर ,या फिर  उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग हो अथवा असम और पूर्वोत्तर में मानसून से पहले ही बाढ़ जैसी स्थिति। बिन मौसम बरसात तो सब जगह हो रही थी । कुछ दिनों पहले बढ़ते तापमान ने राजस्थान ,दिल्ली में रिकॉर्ड तोडा था ,अब बारिश ने माहौल ठंडा किया है।महाराष्ट्र में भी चक्रवात निसर्ग ने बेचैनी पैदा कर दी है।  साथ में चीन भारत -सीमा विवाद में युद्ध जैसे हालात। अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है ,गरीब -मजदूरों की दयनीय स्थिति ,रोजगार संकट ,भुखमरी जैसी स्थिति भयावह होती जा रही है।                  हाल ही में एक और व्यथित समाचार सुनने मिला। अमेरिका की विफलता तो कोरोना ने जगजाहिर कर ही दी थी अब वहां दंगे भी शुरू हो गए और कारण जानकर तो और भी बुरा लगा। वाइट सुप्रीमसी (नीओ -नज़िस्म अर्थात नाजीवाद का नया रूप  ) ...

टेक कोलोनाइजेशन

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      टेक कोलोनाइजेशन (तकनीकि साम्राज्यवाद/उपनिवेशवाद  )/डिजिटल कोलोनाइजेशन /मॉडर्न कोलोनाइजेशन                                   पिछले २ हफ़्तों से कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ -साथ  भारत -चीन सीमा विवाद सुर्ख़ियों में है। चीन के सपोर्ट के साथ नेपाल भी भारत को दुखी कर रहा है। और अब तो अम्फान चक्रवात ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।  अभी हाल ही में टिकटोक बनाम यूट्यूब विवाद भी चर्चा में रहा।  ये तो समाचारों की बात हुई। आज मेरा विषय तकनीकि साम्राज्यवाद है।  तो इस बारे में ही बात करेंगे और आपको बहुत कुछ रोचक तथ्य जानने को मिलेगा। इसलिए ब्लॉग को आखिर तक पढ़िए। वादा करती हूँ आपको निराश नहीं करुँगी।                                                                            ...

कोरोना काल में गाँधी की प्रासंगिकता

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            स्वदेशी ,स्वच्छता और सर्वोदय                  कल ही हमारे प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में बहुत बार ,लोकल (स्वदेशी )और आत्मनिर्भरता जैसे शब्दों का प्रयोग किया। दरअसल ये वर्त्तमान की आवश्यकता बन चुकी है। आज जब अंधाधुन गति से दौड़ रहे विश्व के सभी देशों की गति पर कोरोना ने ब्रेक लगा दिया है। वैश्विक मंदी भयावह नजर आ रही है।तब अचानक फिर से गांधी प्रासंगिक नजर आते हैं। वैसे तो महात्मा गांधी हमेशा ही प्रासंगिक रहे हैं और हमेशा ही रहेंगे। वर्तमान परिस्थिति में गांधीवादी दृष्टिकोण पर आधारित स्वदेशी ,स्वच्छता और सर्वोदय की अवधारणा  व्यवस्था को प्रभावी बनाने में मददगार साबित होंगे।              "एक देश में बाँध संकुचित करो न इसको,                    गांधी का कर्तव्य क्षेत्र, दिक् नहीं काल है।                 गांधी है कल्पना जगत के अगले युग की , ...