जिम्मेदार कौन ?
जिम्मेदार कौन ? " डर ने सड़कों को वीरान कर दिया , वक़्त ने जिंदगी को हैरान कर दिया , काम के बोझ से दबे हर इंसान को , आराम के एहसास ने परेशान कर दिया क्या मुक्कमल हो गई थी जिंदगी हमारी , ये इस नए माहौल ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया , मिली है अगर कुछ फुरसत जिंदगी में , क्यों न इसमें भी कुछ नया आज़मां कर देख लें। " - अज्ञात लॉक डाउन ३. ० चालू है। शराब की दुकाने भी खुल गयी हैं। कैसा नजारा था हम सबने देखा ,सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियाँ उड़ाई गई। और जगह -जगह महिलाओं के विरोध भी दिखाई दे रहे हैं । और इसका कारण है फ़्रस्टेटेड आदमी घर से बाहर नहीं जा पा रहे तो इसका परिणाम घरेलु हिंसा के बढ़ते केस के रूप में सामने आ रहे हैं। और शराब की दुकाने खुलने के बाद और परिस्थितियां विपरीत हो जाएँगी महिलाओं के लिए और ये गंभीर चिंता का विषय है। महिला आय