बारिश की यादें

               बारिश 

                 पूरे १ हफ्ते बाद आज दिल्ली में बारिश हो रही है। अजीब बात है  कि पिछले २ महीने से यहाँ बारिश केवल ( शनिवार या रविवार )के दिन ही हो रही है। ऐसा मैंने नोटिस किया जब मैं संडे को अपने क्लास के लिए जा रही होती हूँ तभी बारिश होती है। और सबसे बुरी बात ये है की यहाँ बारिश होने के बाद मौसम अच्छा नहीं बल्कि और कष्टदायी हो जाता है। १ हफ्ते में आधे घंटे की बारिश होती है और उसी वजह से इतनी ऊमस बढ़ जाती है कि सब कुछ चिपचिपा लगने लगता है। खैर ये तो दिल्ली की बारिश है। 
  
                 आज शाम से को जब में अपने बाल्कनी में टहल रही थी  तब  हल्की -हल्की  बारिश के साथ ठंडी हवा चल रही थी। मन किया कि चाय पीनी चाहिए। फिर याद आया कि मैं हॉस्टल में रहती हूँ और  मेस की चाय बहुत बकवास होती है।इसलिए मैंने चाय पीना ही बंद कर दिया था।  फिर भी मन तो कर ही रहा था बारिश की वजह से बाहर जा नहीं  सकते  इसलिए सोचा कि आज फिर से  मेस की चाय पी के देखते हैं क्यों की कुक वाले भैय्या कभी -कभी अच्छी चाय गलती से बना देते हैं पर ऐसा बहुत कम ही होता है। आज उम्मीद थी कि शायद बारिश का असर हो और चाय अच्छी मिले पर चाय का शिप लेते ही मेरा दिल टूट गया । घर की याद आ रही है मम्मी के हाथ की चाय और  पकौड़े ,मुर्रा फ्राई ,भुनी हुई मूंगफल्ली साथ में  ढेर सारा गॉसिप  बारिश के दिनों में घर पे हुआ करता था । तब और भी मजा आता था जब पापा भी शाम को साथ में होते थे हम चाय पीते -पीते मम्मी के मायके (मामा घर ) की बुराई करके मम्मी को चिढ़ाते थे। मैं पापा की साइड होती थी।  और मम्मी गुस्सा हो जाती थी। थोड़ी देर बाद वो भी हंसने लग जाती थी। वो भी क्या दिन हुआ करते थे। ३  साल हो गए मैं घर से बाहर हूँ और वो बारिश के दिन अब भी मन को गुदगुदाते हैं। 

                   बचपन में (५ -६ वीं कक्षा  तक ) तब बारिश के दिनों में कागज़ के नाँव बना के पानी में बहाना हो या दोस्तों के साथ पोसम पा ,पिट्टुल खेलना हो या फिर शर्तों वाली अंताक्षरी । मैंने बचपन में गोटियां भी खेली है। गुड़िया बना के घर- घर भी खेलती थी मैं। याद है मुझे अपनी गुड़िया के कपड़े बनाने के लिए घर के नए परदे और मम्मी की साड़ी पे कैंची चला दिया था मैंने और मम्मी से २ थप्पड़ पड़े थे। पर उसका भी अलग ही मजा था। 

                  अब बारिश उतना सुकून ले के नहीं आती जैसे बचपन में होता था कितने बेपरवाह होते थे किसी बात की कोई चिंता नहीं होती थी। अभी मैं जब जगजीत सिंह का वो बारिश का पानी। .... सुन रही थी अनायास ही सारी यादें दिमाग में चलने लगे। https://youtu.be/HCWNrBY9nrY


                  ये तो थी मेरी बारिश की कहानियां। लेकिन जरुरी नहीं की बारिश सबके लिए खुशहाली ले के आये। हाल में कई प्रदेशों में बारिश ने कहर बरपा दिया है। महाराष्ट्र ,मध्यप्रदेश ,बिहार ,उत्तरप्रदेश  असम  में बाढ़ की घटनाएं ह्रदय विदारक हैं। कई लोगों के घर डूब गए। कई लोग विस्थापित होने के लिए विवश हैं।  एक तरफ  हम अच्छी फसल के लिए बारिश की कामना करते हैं और दूसरी तरफ मानव जनित कारणों से ही आपदा का सामना करते हैं। जलवायु परिवर्तन दिनों दिन भयावह होती जा रही है। मानसून की अनिश्चितता बढ़ रही है। कहीं पर अतिशय बारिश से बाढ़ तो कहीं सूखा की समस्या बढ़ती जा रही है। इसका केवल एक ही उपाय है पर्यावरण सरंक्षण। जिसके लिए हमसब जिम्मेदार हैं। 


                

टिप्पणियाँ

  1. हर बीती हुई पल सुनहरी लगती है , इसका मतलब हर क्षण सुनहरी है , वर्तमान की हर पल का आनन्द लेते हुए अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहें ....

    अति सुंदर लेख ..

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुविधा में मन

मैं और मेरा चाँद 😍🥰🥰

रूबरू..... रौशनी..