क्यों?

                                   क्यों (why?)

    "जिनके पास जीने का 'क्यों 'मौजूद होता है।  वे लगभग किसी भी तरह के 'कैसे' को सह लेते हैं।  -नीत्शे 

              कुछ भी करने से पूर्व यह जानने की  कोशिश करना कि  ये हम क्यों कर रहे हैं ?ताकि करने का उद्देश्य स्पष्ट हो एवं करने के लिए  प्रेरणा मिलती रहे।  किसी कि सलाह लेना अच्छी बात है पर ये खुद  तय करें कि ये आप करना चाहते हैं या नहीं। क्यों कि अपने अच्छे बुरे के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होते हैं। दूसरों को देख  कर अपने लक्ष्य मत बनाइये कि  वो कर रहा है तो मैं भी करूँगा क्यों कि सबकी इच्छा शक्ति ,रणनीति ,परिस्थिति अलग -अलग होती है। आप दूसरों से प्रेरणा ले सकते हैं पर पूरी तरह किसी को फॉलो  न करें(अंधानुकरण )।   वो कहते हैं -" हर चीज़ के पीछे वजह होती है। "यही  वजह ये क्यों है। 


             व्यक्ति के जीवन का यह 'क्यों '( जीवन का उद्देश्य ,लक्ष्य व  जीवन दृष्टि को जानना )उसके दृढ -निश्चय का प्रतीक है तथा उसके संघर्ष और जिजीविषा का ठोस प्रमाण प्रदान करता है। व्यक्ति की सफलता और सार्थकता का मूल मंत्र भी यही है। महाभारत के युद्ध में जब अर्जुन दुविधा की स्थिति में आये तो स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण ने उनके भ्रम को तोड़ उन्हें जीवन की वास्तविकता से परिचय करवाया और अर्जुन को अपना कर्म करने का मार्ग दिखाया। निश्चित तौर पर इन उदाहरणों से ये सीख मिलती है कि  जीवन को  निरर्थक और लक्ष्यविहीन  होकर नहीं जिया जा सकता तथा जिसने जीवन के लक्ष्यों को तय कर लिया ,वो मार्ग की बाधाओं से आसानी से जूझ लेता है। ऐसे लोगों के इरादे -


                               " अभी न पूछो हमसे मंजिल कहाँ है,
                                  अभी तो हमने चलने का इरादा किया है ,
                                    न हारे हैं न हारेंगे कभी हम 
                                     खुद से ही हमने ये वादा किया है। "

              जीवन संघर्ष के कई  जीवंत उदाहरण हम देखते हैं जैसे- नोबल पुरस्कार विजेता  कैलाश सत्यार्थी ,मदर टेरेसा , मिसाइल मेन - अब्दुल कलाम  ,नरेंद्र मोदी ,वारेन बफेट ,बिल गेट्स  आदि। ये ऐसे लोग है जिन्हे उनका क्यों पता था और अपनी मेहनत से उन्होंने अपने कैसे को साध लिया। 
  
                                 " गिरा वही ,जो शिखरों पर चढ़ा नहीं 
                                   हारा वही जो मुश्किलों से लड़ा नहीं। "                                                                                               
              हम सभी को हमारे जीवन का लक्ष्य ,उस लक्ष्य के प्रति जीवन दृष्टि तथा जीवन दृष्टि के प्रति हमारी प्रतिबद्धता  ही विशिष्ट बनाती है। जीवन में आने वाली बाधाएं सभी के समक्ष  कमोबेश समान चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं यह हम पर निर्भर करता है कि हम उनका प्रत्युत्तर कैसे देते हैं। 
 
            आप भी अपने जीवन का क्यों ढूंढिए और कैसे कि ज्यादा चिंता किये बिना प्रयासरत रहिये। 

                                      "क्या हार में क्या जीत में ,
                                        किंचित नहीं भयभीत मैं ,
                                        संघर्ष पथ पर जो मिले ,
                                         यह भी सही वह भी सही। "
                                                           -शिवमंगल सिंह 'सुमन '

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