भाषा
भाषा
स्वतंत्र भारत ने भाषा संबंधी एक ऐसा प्रारूप अपनाया जिसमें सभी भाषाओं को महत्व दिया गया। फलस्वरूप संविधान के ८ वीं अनुसूची में भाषा को स्थान दिया गया जिसमें पहले १४ भाषाएं थी परन्तु वर्तमान में २२ भाषाएं हैं। हालांकि जनगणना २००१ के आंकड़ों के हिसाब से भारत में लगभग मुख्य भाषा १२२ और अन्य भाषा १५९९ हैं इनमें से कई क्षेत्रीय भाषा और बोलियां हैं जो कम लोगों द्वारा बोली जाती है।
आज राजभाषा दिवस (हिंदी दिवस )है। और मेरा हिंदी से लगाव स्वाभाविक ही है। स्कूलिंग हिंदी माध्यम से हुई। मेरे पापा ने हिंदी साहित्य में एम ए किया है। इसलिए उनकी हिंदी साहित्य की किताबें मैं बचपन से ही पढ़ती आई हूँ। मेरा वैकल्पिक विषय भी हिंदी साहित्य रहा है। कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।अंग्रेजी भाषा भी ठीकठाक है मेरी और में इंग्लिश नॉवेल पढ़ने में भी रुचि रखती हूँ। पर हिंदी की बात ही अलग है। कॉलेज में भी मैं हिंदी से जुडी रही एवं २ वर्षों तक कॉलेज के राजभाषा समिति की मुख्य समन्वयक (लीड कॉर्डिनेटर )की भूमिका में थी।
भारत की कोई राष्ट्र भाषा नहीं है क्यों की भारत में भाषायी विविधता है। हिंदी को राजभाषा इसीलिए माना गया क्यों कि अधिकांश भारतीय जनता हिंदी जानती समझती है। तथा भाषा के माध्यम से ही स्वतंत्रता आंदोलन में जनभागीदारी बढ़ी। हालांकि संविधान में दक्षिण के राज्यों की समस्याओं को देखते हुए अंग्रेजी को भी सरकारी कार्यों के लिए प्राथमिकता दी गई।
"यदि आप किसी राष्ट्र के लोगों को एक दूसरे के निकट लाना चाहते हैं तो सबके लिए समान भाषा से बढ़कर तथा सशक्त अन्य कोई बल नहीं है। हिंदी ही एकमात्र ऐसी भाषा है। जिसकी लिपि देवननागरी है। राष्ट्र संगठन के लिए आज ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे सर्वत्र समझा जा सके।"
-तिलक
भारत में अनेक भाषाएं हैं इसीलिए भाषायी विवादों से बचने के लिए भाषा के आधार पर राज्यों का गठन भी किया गया और आंध्रप्रदेश पहला राज्य बना जिसे भाषा के आधार पर गठित किया गया। परन्तु ऐसा भी नहीं है कि एक भाषा को अधिक महत्व दिया गया हो और दूसरे भाषा को नहीं। भारत में स्वतंत्रता के पश्चात भाषओं को एक भाषा में मिलाने या दबाने की कोशिश नहीं की गयी है। चूँकि भारत की विविधता ही भारत की विशेषता है तथा भारतीय संस्कृति में भाषा के महत्व को हमारे संविधान निर्माता भी समझते थे इसलिए संविधान के अनुच्छेद ३४३(क )और ३४३ (ख ) में भाषा संबंधी उपबंध किये गए हैं।
" संस्कृत वाणी इसकी जननी ,तमिल तेलगु बहनें।
बंगाली ,ओड़िया ,मलयालम ,कन्नड़ के क्या कहने।
सबको आदर सबको ममता तेरी यही कहानी।
भाषाओं में शिरोमणि है मेरी हिंदी वाणी।
तुलसी की मानस है ,सूर की सूरसागर ,सूर सरिता।
सूर्यकांत ,जयशंकर ,पंत के मन की सुमधुर कविता।
मीरा की यह गिरधरनागर ,गुरुनानक की वाणी।
भाषाओं में शिरोमणि है मेरी हिंदी वाणी।"
भारतीय संस्कृति में भाषा का महत्व अत्यधिक है। विशेषकर हिंदी का।आज हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी के बारे में बात किया जाये। जो कि पश्चिमीकरण ,भूमण्डलीकरण (ग्लोबलाइजेशन )और भारतियों की पूर्वाग्रहों के कारण उपेक्षा का दंश झेल रही है। आपको ये जान के आश्चर्य होगा की हॉल ही में अबुधाबी ने हिंदी भाषा को अपनी तीसरी ऑफिसियल भाषा का दर्ज़ा दिया है। पश्चिमी देशों के बहुत सारे लोग भारतीय संस्कृति और विविधता को करीब से जानने के लिए हिंदी सीखने भारत आते हैं। पूरे विश्व में इंग्लिश ,चीनी भाषा (मंदारिन ) के बाद सबसे अधिक हिंदी बोली जाती है।आजकल यू टूयब में भी देखा होगा कई जापानी लोग,कोरियाई लोग हिंदी में बातें करते हैं और अपनी संस्कृति को हिंदी में बताते हैं। और पश्चिम के देशों में भाषायी राष्ट्रवाद भी देखा जाता है। वो अपने भाषा से कितना लगाव रखते हैं। जबकि भारत में भारतीय भाषाओं के प्रति उतना लगाव नहीं देखा जाता।
" जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है वह उन्नत नहीं हो सकता है। "-डॉ राजेंद्र प्रसाद
अजीब बात है कि भारतीय लोगों में ऐसी पूर्वाग्रह वाली मानसिकता बन चुकी है कि हम स्वयं ही अपनी भाषा और बोली बोलने से शरमाते हैं और इंग्लिश को अधिक तव्वज्जो देते हैं। कोई भी सक्षम माता -पिता अपने बच्चे को इंग्लिश माध्यम स्कूल में ही शिक्षा देना चाहते हैं। बल्कि यूं कहें अंग्रेजी बोलने वाले को ही शिक्षित माना जाता है बाकि लोगों को गवांर। मैं ये नहीं कह रही कि अंग्रेजी पढ़ना या बोलना गलत है बल्कि वर्तमान विश्व की आवश्यकता है ताकि हम प्रतिस्पर्धा में बने रहें इसलिए अंग्रेजी आवश्यक है। मेरा बस इतना कहना है। अंग्रेजी को केवल भाषा मानिये अपना स्टेटस मत बनाइये। या सिर्फ अंग्रेजी जानने भर के कारण किसी को नीचा मत दिखाइये। और हिंदी बोलना या क्षेत्रीय भाषा बोलने या पढ़ने में कोई शर्म की बात नहीं है। बल्कि ये गर्व की बात होनी चाहिए कि आज भी हम अपनी भाषा ,साहित्य और संस्कृति को संजो के रखते हैं। आप बेशक अंग्रेजी सीखिए और भी अन्य भाषाएँ सीखिए लेकिन साथ में हिंदी की उपेक्षा मत कीजिये। अपनी संस्कृति और सभ्यता को अपनी ही भाषा में जानने का मजा ही अलग होता है। जैसे - हमारे प्राचीन ग्रंथों के श्लोक यदि उन्हें आप अंग्रेजी में समझने की कोशिश करेंगे तो उसकी भावना ही ख़त्म हो जाएगी। आजकल लोग ऐसी भाषा बोलते हैं जो न पूरी तरह हिंदी होता है और न ही अँग्रेज़ी बल्कि व्हॉट्सप ( सोशल मीडिया ) की मिलावटी संचार भाषा जो की भाषा की विकृत स्वरूप को दर्शाता है।
"जापानियों ने जिस प्रकार विदेशी भाषाएँ सीखकर अपनी मातृभाषा को उन्नति के शिखर पर पहुँचाया है। उसी प्रकार हमें भी अपनी मातृभाषा का भक्त होना चाहिए। "-श्यामसुंदर दास
भारत में बहुत सारा साहित्य क्षेत्रीय भाषा में लिखा गया है ,हर प्रदेश का अलग -अलग सांस्कृतिक भंडार है लोक गीत-संगीत ,लोक कथा ,रीति -रिवाज़ परम्पराएं आज भाषायी पूर्वाग्रह के कारण धीरे धीरे विलुप्त हो रहे हैं इसी वजह से ही आज कल लोक -कलाकारों की उपेक्षा होती है।उनकी आजीविका संकट में है और इसी कारण ऐसे क्षेत्रीय कलाकार शहरी मजदूर ,कृषि मजदूर बनने को बाध्य हैं। गावों से पलायन बढ़ रहा है। पश्चिमीकरण , वैश्वीकरण ने हमारे लघु -कुटीर उद्योगों के साथ - साथ हमारे हस्त शिल्प उद्योगों को भी बर्बाद किया है। जिसका परिणाम हम अपने बाज़ारों में चीनी उत्पादों की भरमार से अंदाजा लगा सकते हैं। इसी वजह आज भारत का विनिर्माण क्षेत्र (मेक इन इंडिया ) उतना सफल नहीं है विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
" हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है " -स्वामी दयानन्द
हमारी संस्कृति और सभ्यता ,गीत -संगीत,नृत्य ,साहित्य में हमारे क्षेत्रीय भाषाएँ प्राण भरती हैं। ५००० वर्ष पुरानी सभ्यता आज भी जीवित है और इसको समृद्ध बनाये रखने के लिए हमें अपनी भाषा और बोली का सरंक्षण करना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक अपनी क्षेत्रीय भाषा और हिंदी का प्रयोग अपने दैनिक जीवन में करिये।हिंदी को डिजिटल माध्यम में बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता एवं वित्तीय समावेशन को बल मिलेगा। हिंदी को पूरे दिल से अपनाइये।
ये ब्लॉग थोड़ा लम्बा है पर जो भाषा पर निबंध लिखना चाहते हैं उनके लिए उपयोगी है। अपनी राय कमेंट में बताएं।
bahut khub...😊
जवाब देंहटाएंthanku
जवाब देंहटाएंWaah gupta ji.... Shandar
जवाब देंहटाएंthanku
हटाएंबच्चे का मस्तिष्क बहुत कोमल होता है , अपने आस पास की वातावरण से विकसित होता है , उसे दबाव से आघात मत पहूचाईए , उसे स्वतंत्र रूप से विकसित होने का अवसर दीजिए ...
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंThanku
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