शिक्षक

                           शिक्षक 

               मानव को अधिक परिपक़्व ,समझदार और प्रबुद्ध बनाने में शिक्षा की भूमिका हर युग में बेहद प्रभावी  रही है। चाहे वो अनौपचारिक रूप से घर-बाहर ,माता -पिता ,दादी -नानी ,पड़ोसियों द्वारा सिखाये गए सबक हों  या वैदिक वाचिक परंपरा से आधुनकि  युग की औपचारिक शिक्षा पद्धातियाँ ,निसंदेह शिक्षा  और शिक्षक का मानव व्यक्तित्व के सर्वांगीण  विकास में  महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

             "मुझे जन्म देने के लिए मैं अपने माता -पिता की ऋणी रहूंगी एवं मुझे बेहतर इंसान बनाने ,आगे बढ़ने की प्रेरणा देने के लिए अपने शिक्षकों की ऋणी रहूंगी।"  पहले शिक्षक माता -पिता ही होते हैं। 

                                        शिक्षक = शि - शिष्टाचार 
                                                       क्ष -   क्षमाशील 
                                                       क -कर्तव्यनिष्ठ 


                यदि मानव इन गुणों से घिरा है तो उसका हमेशा विकास होता है शिक्षक हमें कर्तव्यनिष्ठ रहने की शिक्षा देते हैं। चाहे वो कर्तव्य समाज के प्रति हो या ,देश के प्रति अथवा प्रकृति के प्रति। "यदि प्रकृति अपने कर्तव्य से विमुख होती है तो विनाश होता है मानव जब अपने कर्तव्यों  से  मुँह मोड़ता है तो सामाजिक पतन होता है इसलिए मानव  को अपने  कर्तव्यों का पालन  अवश्य करना चहिये। 


            " दीपक होता है शिक्षक बाती उसके विद्यार्थी।"  

         हम जिससे भी सीखते हैं वो हमारे शिक्षक हैं।चाहे वो हमारी गलतियां ही क्यों न हो।  गाँधी जी ने सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाया  तो विवेकानंद  ने मानवता वादी  विचारों कि शिक्षा दी। मदर टेरेशा  ने सेवा भावना सिखाया।  ए पी जे  अब्दुल कलाम ने तकनीकि के मानव कल्याण स्वरुप   को दर्शाया  ,राजा राममोहन राय,मदन मोहन मालवीय  ने शिक्षा  का महत्व बताया।  

                भारत के पूर्व राष्ट्रपति  एवं भारत रत्न से सम्मानित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस   मनाया जाता है. राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे। डॉ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।  उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए।     
                 आज शिक्षक  दिवस के अवसर पर अपने गुरूओं को धन्यवाद देना चाहती हूँ।  सबसे पहले गुरु  और मेरे आदर्श मेरे पापा है।  स्कूल ,कॉलेज ,कोचिंग  सब जगह मुझे बहुत ही अच्छे गुरूओं का सानिध्य मिला। स्कूल में  -डी. के  . चौधरी  सर , आई. पी  नायक सर , एस एन  पटेल सर ,और कॉलेज -कोचिंग में  विकास दिव्यकीर्ति सर, ब्रजेश माहेश्वरी सर , राकेश राणावत  सर , सिस्टर शीला  आदि ये मेरे फेवरेट रहे हैं।

             

       



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