नुआखाई त्योहार
नुआखाई त्यौहार
भारत में बहुत सारे त्यौहार मनाये जाते हैं या यूँ कह सकते है हर अवसर का एक त्यौहार होता है। चाहे वो पहली बारिश की ख़ुशी का हो या धान बोवाई का अवसर अथवा होली ,दिवाली। खासकर भारत के जनजाति बहुल क्षेत्रों में कृषि से सम्बंधित बहुत सारे त्यौहार मनाये जाते हैं (जैसे -असम का बिहू ) ओड़िशा , मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ और उत्तरपूर्व के राज्यों में। भारत गावों में बसता है। और कृषि पर आज भी लगभग ५० % आबादी निर्भर है। इसलिए कृषि और इससे सम्बंधित त्यौहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हमेशा से रहे हैं।
नुआखाई त्यौहार भी एक कृषि से सम्बंधित त्यौहार है।और मुख्य रूप से पश्चिमी ओडिशा के सम्बलपुर जिले में मनाया जाता है। हालांकि छत्तीसगढ़ में भी लगभग ३० % ओड़िया बोलने वाले लोग रहते हैं है तथा ओड़िशा से बॉर्डर शेयर करते हैं इसलिए यहाँ भी ये त्यौहार मनाया जाता है। कह सकते है फ़ूड फेस्टिवल है। और ये त्यौहार भाद्रपद (अगस्त -सितम्बर ) महीने के पंचमी तिथि ( गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद ) मनाया जाता है। और माँ समलेश्वरी देवी को भोग चढ़ाया जाता है इस दिन धान की नई बालियों से नए चावल निकालकर प्रसाद (खीर ) बनाया जाता है और भी बहुत सारी ओड़िया डिशेस बनाई जाती है।और पत्तल दोने में सबके साथ बैठके खाना खाया जाता है। इसके अलावा रुई वाली राखी बाँधी जाती है भगवान के साथ -साथ घरों के फर्नीचर ,दरवाजे ,गाय -बैल ,पीपल का पेड़,इन सबको भी राखी बाँधी जाती है और इनकी पूजा की जाती है और बड़ो का आशीर्वाद लिया जाता है। एक दूसरे से मिलकर बधाई देते है इसे ही नुआखाई जुहार बोला जाता है। सम्बलपूरी डांस भी किया जाता है (ओड़िशा में )
आज घर की बहुत याद आ रही है मुझे। २०१५ में आखरी बार मैं इस त्यौहार के समय घर पे थी। ये एक ऐसा फेस्टिवल है जिसमे घर के सारे सदस्य शामिल होते है गेटटुगेदर होता है। इस त्यौहार से जुडी बहुत सारी यादें है मेरी। आज आप सबके साथ मैं अपनी नुआखाई से जुडी यादें साझा करती हूँ -
आज के दिन हम अपने ओडिशा वाले गावं (साहसपुर )दादा -दादी के यहाँ जाते थे त्यौहार मानाने।और वहां ये त्यौहार मानाने का अलग ही मजा था। साहसपुर गांव जंगली क्षेत्र है पहाड़ों से घिरा हुआ है और इसी वजह से वहां जंगलो से मिलने वाले गोल मशरूम ,बांस की कलि से बनने वाली (करील ) ,जंगली फलों में -चार ,तेंदू ,कोषम ,जामुन ये सब आसानी से मिलता था। दादी पहले से ही पत्तल दोना बना के रखती थी। और फिर सुबह से ही प्रसाद और खाने की तैयारी शुरू होती थी। मम्मी ,दादी ,बुआ,सब मिलके खाना बनाते थे। और कम से कम ९ या ११ प्रकार की सब्जियां और साथ में खीर ,मिठाई होती थी। फिर लक्ष्मी (माँ समलेश्वरी ) की पूजा होती थी। और फिर सब साथ में बैठके खाना खाते थे। मुझे घर में सबको रुई वाली राखी बांधने को काम दिया जाता था।
२००४ में मेरे दादाजी की मृत्यु के बाद हमने अपना ओडिशा वाला घर छोड़ दिया और छत्तीसगढ़ में स्थायी रूप से बस गए। अब भी वो घर है पर वहां कोई नहीं रहता। अब यहाँ भी त्यौहार मनाते हैं। २०१५ में जब मैं घर पे थी तब दादी,मम्मी,चाची और मैं सबने मिलकर ९ सब्जियां बनाई थी। पर साहसपुर गावं वाली बात नहीं होती यहाँ । आठवीं कक्षा तक मेरी सारी गर्मी छुट्टी गांव में बीतती थी। बहुत कम ही जाना होता है वहां, पर अब भी उस गांव की प्राकृतिक सुंदरता मेरे मन को हमेशा आकर्षित करती है।
त्यौहार हमेशा खुशियां ले के आते हैं और ये त्यौहार मेरा फेवरेट है क्यों की आज मेरी पसंद की सारी सब्जियां बनती है घर में। इसलिए भी बहुत मिस कर रही। ये त्यौहार अच्छे फसल उत्पादन का प्रतीक है।किसानो के विश्वास की झलक है ताकि फसल अच्छे से हो और समृध्दि आये। आप सबको भी नुआखाई त्यौहार की शुभकामनायें।
संबलपुरी डांस का लिंक https://youtu.be/eIwzgnp_9eg
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जवाब देंहटाएंBehtarin lekh
जवाब देंहटाएंTHANKU
हटाएंBahot khub..
जवाब देंहटाएंthanku
हटाएंHappy Nuakhai.... Excellent 👍
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएं👌👌
जवाब देंहटाएंThankyou
हटाएंNuakhai Juhar 🙏
जवाब देंहटाएंI had a chance to celebrate this festival once when I was in Delhi with my Odia friend.. Enjoyed it thoroughly..
❤thankyou bndita
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