अनुभव..

                              सावन का महीना  पवन करे शोर.. 

                              आज सावन का आखरी सोमवार है मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी है लोग पूजा करने में इतने मगन हैं की धक्का मुक्की हो रही है ,आज मैं  भी मंदिर आई हूँ ,जनरली मैं पूजा पाठ नहीं करती ,बस प्रार्थना करती हूँ ,काफी दिनों बाद आज मेरा भी मन हुआ..पर मैं मंदिर खाली हाथ ही आई हूँ ,मुझे लगता है  कि  मैं भगवन को दे ही क्या  सकती हूँ  इसके अलावा की मेरा उनपर भरोषा है और हमेशा रहेगा चाहे मैं अगरबत्तीमूलक पूजा न करूँ। मंदिर के नज़ारे ही अलग हैं आज , आज शिव जी का दिन है। मेरी मम्मी कहती है की मैं सोमवार को पैदा हुई थी इसलिए मेरा नाम शिवाश्री है  जिसका मतलब है शिवा +श्री , अर्थात शिव जी का अंश + लक्ष्मी जी ,जब  भी मेरा मन अशांत होता है मम्मी कहती है तू मंदिर चले जाना ,पर मैं कभी कभार ही जाती हूँ... 

                                शिव जी पे आज ढूध  ,दही ,फल -फूल चढ़ाये जा रहें है , मंदिर मैं खड़े होकर सोच रही  थी  कि इतना सारा ढूध वेस्ट हो जायेगा  जबकि अगर इतना ढूध लोग यदि सिर्फ भगवान के नाम 
से किसी अनाथ आश्रम या सरकारी स्कूल जहाँ मिड डे मील चलता है  वहां यदि  सावन की सभी सोमवार को ये ढूध दे दिया जाये तो कुपोषण  थोड़ा कम होगा। भारत  में लगभग ५० % गरीब बच्चे भुखमरी और कुपोषण के शिकार हैं लेकिन आस्था के नाम पे हमारी सवेंदनशीलता ख़तम होती जा रही है और हम ऐसे ही बहुत सारा खाना वेस्ट कर देते हैं  ,अजीब बिडम्बना है मंदिर के बाहर कितने सारे गरीब दुखी बैठे हैं। 
                                  
                                 जब से बरसात ने कहर बरपाना  शुरू किया है ,भारत के कई राज्य जैसे महाराष्ट्र ,केरल ,बिहार, बाढ़ से पीड़ित हैं लोगों तक राहत सामग्री पहुँचाई जा रही है ऐसे में जब लोगों को खाने की इतनी समस्या है तब लाखों  लोगों का इस तरह से मंदिरों में में खाना वेस्ट करना खलता है ,क्यों ना हम भी आज सावन के इस आखरी सोमवार को एक संकल्प लें की खाना वेस्ट नहीं करेंगे और जरुरतमंदो की मदद करेंगे। क्या ये कदम शिव जी की सच्ची भक्ति नहीं होगी? शिव जी के इस संसार को और सुन्दर बनाने का संकल्प करना चाहिए 
सबको.... 

                      सत्यम शिवम् सुंदरम  ......... 

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