प्रेरक कथाएँ
धैर्य
एक बार ईशा मसीह अपने शिष्यों के साथ जंगल में जड़ी बूटियां ढूंढने के लिए गए। लौटते समय उन्हें प्यास लगी। शिष्य इधर उधर पानी की तलाश करने लगे। तभी उन्हें एक खेत दिखाई दिया। वहां पहुंचने पर ईशा मसीह को जगह जगह गड्ढे दिखाई दिए। उन्होंने शिष्यों से पूछा-" क्या तुम बता सकते हो कि इस खेत में ये गढ्ढे क्यों खोदे गए हैं ?"
सभी शिष्य एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। तब उन्होंने शिष्यों को समझाते हुए कहा - " इस खेत में ये गढ्ढे कुआँ खोदने के लिए किये गए हैं। किसान ने खेत में पानी की तलाश के लिए कुछ फुट तक तो गढ्ढा खोदा ,जब उसे पानी नहीं मिला तो दूसरी जगह खोद दिया। इस तरह कई जगह गढ्ढे खोदे ,लेकिन पानी नहीं मिला। अगर वो लगन और दृढ़विश्वास के साथ एक ही गढ्ढे पर कड़ी मेहनत करता तो निश्चय ही उसे जमीन से पानी मिलता। लेकिन धैर्य नहीं होने के कारण किसान का कार्य पूरा नहीं हुआ। उसका सारा श्रम व्यर्थ चला गया। "
कुछ देर रुक कर ईशा ने शिष्यों से कहा -" तुम सब मेरी यह बात ध्यान रखना की चाहे कितनी ही मुसीबत आये ,लेकिन इस किसान की तरह अपने किसी कार्य को बीच में अधूरा न छोड़ना। धैर्य एवं एकाग्रता के साथ उसे अवश्य पूरा करना।
" धीरज धरे सो उतरे पारा।"
ये कहानी वर्तमान के गलाकाट प्रतियोगिता के ज़माने में कितनी प्रासंगिक है ,कई स्टूडेंट बहुत सारे एग्जाम की तयारी एक साथ करते हैं और सफल नहीं हो पाते ,सबकोई जल्दी सफल होना चाहता है।
धैर्य से सम्बंधित कबीर दास का दोहा प्रसिद्ध है -
धीरे धीरे रे मना ,धीरे सबकुछ होय।
माली सीचें सौ घड़ा ,ऋतु आए फल होय।।
Very nice story Shree...
जवाब देंहटाएंThanku
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जवाब देंहटाएंअद्भुत.... जीवन की प्रेरणा😊👍🙏
जवाब देंहटाएंअद्भूत लेखनी उतना ही सुन्दर संदेश।।
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंबहुत बङिया
जवाब देंहटाएंधैर्य और अपने लक्ष्य पर एकाग्रता।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया श्री।
Bahut khoob...
जवाब देंहटाएंThanku
हटाएंUmda
जवाब देंहटाएंThanku
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