धैर्य में ही सफलता......

                          प्रेरक कहानी 


              एक आश्रम में ,शिक्षा -सत्र समाप्ति पर ,गुरु ने शिष्यों की अंतिम परीक्षा लेने के उदेद्श्य से ,सबके हाथों में बांस से बनी एक -एक टोकरी पकड़ाते हुए कहा -"तुम सब नदी पर जाकर इन टोकरियों  में जल भरकर लाओ और आश्रम की सफाई करो। "  

                गुरु की आज्ञा मानकर शिष्य चल पड़े। सोचने लगे कि टोकरियों में जल कैसे भरा जायेगा ? जल तो छेदों से बहकर निकल जायेगा। नदी पर वही हुआ। टोकरियों में पानी भरते ही बह जाता था। 


                सदाव्रत नामक शिष्य को छोड़कर सभी शिष्य टोकरियां फेंक कर  आश्रम आ गए। लेकिन सदाव्रत ने प्रयास नहीं छोड़ा और शाम तक टोकरी में जल भरने का प्रयास करता रहा। आखिर उसका धैर्य रंग लाया और टोकरी में बार -बार जल लगने से बांस की कमानियां  फूल गईं  और उनके बीच के छेद बंद हो गए और जल रिसना बंद हो गया। 
                      
                   सदाव्रत  टोकरी में जल लाकर  आश्रम की सफाई में जुट गया। तब गुरु ने सभी शिष्यों  बुलाकर कहा -" यह अंतिम शिक्षा थी जिसमें सदाव्रत के अलावा सभी छात्र अनुत्तीर्ण हुए हैं। जीवन में किसी भी कार्य में सफलता पायी  जा सकती है।  बस ,शर्त यह है कि  उसे करने के लिए पर्याप्त धैर्य होना चाहिए। "

                   धीरज धरे सो उतरे पारा। ........ 

                     सदाव्रत को भी बाकि लोगो को चले जाने के बाद फ़्रस्टेशन हुआ होगा ,कई बार लगा होगा की मैं क्यों कर रहा हूँ। जैसे सबको असफल होने के बाद लगता है। परन्तु बार -बार असफल होने पर भी उसने प्रयास करना नहीं छोड़ा।(थॉमस अल्वा एडिशन  के जैसे उन्होंने भी ९९९ बार असफल होने के बाद बल्ब का अविष्कार किया था।)  और इसमें उसका विश्वास भी जीता कि  उसके गुरु ने कुछ सोचकर ही वो कार्य करने के लिए कहा होगा।  हमें भी खुद पर पूरा विश्वास रखना चाहिए और तब तक प्रयास करना चाहिए जब तक सफल नहीं हो जाते।  कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। ........ 
                    
                    


             

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मैं और मेरा चाँद 😍🥰🥰

mensturation and sanitary napkins ...lets talk about period...and safe healthcare for women in our country

रूबरू..... रौशनी..