रंग/कलर्स

                            रंग /कलर 


             अपने स्टडी टेबल पर रखे रंगबिरंगे पेन को देखकर ऐसे  ही मन किया कि क्यों न इसपे कुछ लिखा जाये। मुझे रंगोली बनाना पसंद है और रंगों  के साथ एक्सपेरिमेंट करना भी ,उनके साथ खेलना रंगो को मिक्स करके नए -नए शेड्स बनाना। वैसे व्यक्तिगत तौर पर मेरा पसंदीदा रंग सफ़ेद और काला  है। बाकि रंग भी पसंद है पर सफ़ेद  की बात  ही कुछ और है सफ़ेद रंग कलरलेस  होते हुए भी कलरफुल होता है। 
             
               सफ़ेद रंग के लिए मैं  ऑब्सेस्ड हूँ। पता नहीं क्यों सफ़ेद चीज़ें अनायास ही मुझे आकर्षित करते हैं। सफ़ेद रंग शांति और अमन का पैगाम देता है। 
     
           अब बात करते हैं रंगों का हमारे जीवन में क्या  महत्व होता है?और बिना रंगों के हमारा जीवन कैसा हो सकता है ?
            "मनुष्यों के संबंधों में रंग भले बदल जाये परन्तु रंगों से मनुष्यों का सम्बन्ध कभी नहीं बदल सकता।" 
              हमारे जीवन में सदैव से रंग रहे हैं और सदा के लिए रहे हैं। रंग जीवन का प्रतीक है ,सृष्टि का सृजन भी। दो रंग आपस में मिलकर नए रंग का सृजन करते हैं और आपस में न मिल पाए तो एक दूसरे के लिए कलंक बन जाते हैं। जैसे -आजकल शादियों में तलाक लेने की प्रवृत्ति बढ़ रही है भारतीय समाज में।  
    
              "मनुष्य हो या वस्तु रंग पलभर में उसकी प्रकृति ही बदल देता है।" जैसे -आवश्यकता के समय दोस्त या रिश्तेदार  अपने रंग दिखाने शुरू करें तो समझ लजिए की रिश्ते बस नाम के ही हैं।आजकल ग्लोबल वार्मिंग के चलते कोरल ब्लीचिंग हो रही है। ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ का उदहारण ले सकते हैं। कैसे कोरल का रंगहीन होना समुद्री प्रदूषण का लक्षण हैं।कैसे अम्लीय वर्षा ताजमहल की सफेदी को फीखा कर रहा  है।  वैसे ही हमारा पीने वाला पानी होता तो रंगहीन है  पर यदि उसमे रंग दिखने लगे तो पीने लायक नहीं होता है।  हमारा तिरंगा कैसे हमें शौर्य ,शांति और समृद्धि का सन्देश देता है। ऐसे ही वस्तु ,मानव ,प्रकृति सबमें रंगो का बहुत महत्व है। कैसे एक चित्रकार एक कोरे  कैनवास को  रंगो के  जादू से जीवंत  कर देता है। 


प्राकृतिक सुंदरता 
प्रदूषण 



              सफ़ेद रंग -शांति की भावना छिपी  है इसमें  पर यदि कोई दूसरा रंग इसमें मिला दिया जाये तो इसकी पूरी भावना ही बदल  जाएगी। रंग और भावनाओं का गहरा सम्बन्ध होता है तथा रंगो के माध्यम से ज्योतिष मनुष्य की प्रकृति भी बताते है। जैसे-काला  रंग - अशुभ माना जाता  है  तामसिक प्रवृत्ति  का  माना जाता  है  अर्थात (मांसाहार /तलाभुना खाने वाले,पार्टी पसंद  ) और लाल रंग प्रेम का प्रतीक माना  जाता है ,सुहागन औरत के लिए सुहाग का प्रतीक तो इसी लाल रंग का एक विधवा के लिए कोई महत्व नहीं रह जाता। बल्कि उसकी पीड़ा का कारण  बनता है। 


              रोचक बात  ये है कि पश्चिमी देशों और भारत में  रंगो के  भिन्न मायने है जैसे- भारत में सफ़ेद रंग विधवा औरत पहनती है जबकि क्रिश्चन विवाह में दुल्हन सफ़ेद पोशाक पहनती है। भारत में किसी की मृत्यु होने पर हम सफ़ेद रंग पहनते हैं और उनके यहाँ काला रंग। इसमें रंग तो वही है केवल उनकी भावनाएं बदल गई है। 

                                                                                                                                             वैसे तो भारत की संस्कृति रंगबिरंगीहै-क्यों कि यहां  विविधता है। रंग ,रूप ,वेश भाषा सब अलग -अलग होते हुए भी हम अनेकता में एकता और वसुधैव -कुटुम्बकम को दर्शाते  हैं। चाहे वो खेतों  की हरियाली हो या खाने में रंग बिरंगी मिठाइयां ,माँ  का प्यार भरा आँचल हो या फिर पापा डांट या भाई -बहन के  झगड़े हो , सब में भावनाओं का रंग है। 

      


                 रंगो  की बात हो और हम अपने त्योहारों को कैसे भूल सकते हैं विशेषकर होली जो रंगो  का  त्यौहार है। सब इस दिन अपने गिले -शिकवे भूल कर होली  के रंग में रंग जाते हैं। 


                आप सब भी अपने जीवन के  रंगो को संभाल  के रखिये  ,उन्हें फीखा मत होने दीजिये। क्यों कि  इन्हीं रंगों के परिवर्तन से जीवन परिवर्तित हो जाता है।  मानवीय संबंधों से अगर रंग चले जाएँ तो केवल फॉर्मेलिटी बच जाती है। ....... 

     

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